महाराष्ट्र

जमे रहेंगे फिर रहेंगे शिंदे सरकार? महाराष्ट्र में जनता के मूड का किस ओर इशारा; क्या कहता है सर्वे

महाराष्ट्र चुनाव सर्वेक्षण: महाराष्ट्र में इस साल के अंत में होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी तेज है। चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन राज्य का विधानसभा चुनाव पूरी तरह गर्म हो गया है। राजनीतिक के बीच की कड़ी टक्कर के बीच हाल ही में एक सर्वेक्षण ने प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को और स्पष्ट किया है।

हाल ही में दिए गए इंडिया टुडे के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की गोवा वाली स्थिर सरकार और उनके सहयोगी सहयोगी- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अजीत समर्थक की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के समर्थक लोगों का समर्थन मिला। -जुला दिख रहा है। सर्वे में 25 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सरकार के कामकाज से लेकर पूरी तरह से संतुष्टि की बात कही, जबकि 34 प्रतिशत ने कुछ भी नहीं कहा। इसके विपरीत, 33 प्रतिशत लोगों ने सरकार के कार्यों को लेकर असंतोष व्यक्त किया।

नामांकन को लेकर क्या सोचती है जनता

सूची की स्थिति को लेकर सर्वेक्षण में बताया गया है कि यूबीटी पार्टी की पार्टी (यूबीटी), शरद के समर्थक नेतृत्व वाली सहेलियां, और कांग्रेस की जसी विचारधारा के प्रदर्शन से केवल 11 प्रतिशत उत्तरदाता पूरी तरह से अलग हैं। 21 प्रतिशत उत्तरदाता नामांकन से कुछ हद तक जुड़े हुए हैं, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने नामांकन के लिए काम किया है।

2024 के अविश्वास ने महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरणों को हिलाकर रख दिया था। इंडिया अलायंस के सहयोगी दल- कांग्रेस, बीजेपी (यूबीटी) और शरद पवार की गर्लफ्रेंड ने 48 सेमी में 30 पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने 13 मंजिलें, बीजेपी (यूबीटी) ने 9 मंजिलें, और शरद ऋतु की ताकतों ने 8 मंजिलें बनाईं। वहीं, अवशेष को केवल 17 इंच पर संतोष करना पड़ा, जिसमें बीजेपी ने 9 इंच, एकनाथ शिंदे की गुड़गांव वाली पार्टी ने 7, और अजित की तरफ से केवल 1 सीट का विवरण दिया था।

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हालाँकि, हाल ही में दिए गए मूड ऑफ द नेशन सर्वे में संकेत दिया गया है कि अगर आज ही चुनाव होता है, तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों में तीन-तीन धारणाएं बनती हैं। इससे भाजपा का उद्बोधन 9 से उग्रवाद 12 और कांग्रेस का उद्बोधन 13 से उग्रवाद 16 हो जाता है। यह इन दोनो के सहयोगी संस्थानों को संकुचित करना उचित रूप से संभव होता है।

प्रयोग को करना होगी परिश्रम

महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह संकेत देता है कि राज्य में राजनीतिक संतुलन किस दिशा में जा सकता है। राष्ट्रीय और राज्य के मुद्दे और कैथोलिकों की प्राथमिकताएं अक्सर अलग-अलग होती हैं, लेकिन यह सर्वेक्षण बताता है कि महाराष्ट्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए और अधिक मेहनत करनी होगी। विशेष रूप से, अजिता की गर्लफ्रेंड के ख़राब प्रदर्शन को देखा गया, राज्य के लिए चुनौती और भी मुश्किल हो सकती है।

अगले कुछ महीनों में राजनीतिक घटनाएँ और वैचारिक रणनीतियाँ इस बात को और स्पष्ट करेंगी कि महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों के परिणाम क्या होंगे। सामान्य, राजनीतिक महासागर पूरी तरह से गर्माया हुआ है और फ्लोरिडा का रुझान किस ओर के साथ होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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