भोपाल समाचार: भोपाल के हमीदिया अस्पताल को मिली वो कहावत, जो दिल्ली एम्स के पास भी नहीं, जानें वजह
भोपाल. एनबीएच (अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड) ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सरकारी हमीदिया अस्पताल को पांच साल की मान्यता दी है। देश में पहली बार 1820 में एनबीएच के सरकारी अस्पताल को पूर्ण विवरण मिला। इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स दिल्ली) के पास भी ये पूर्णतया मान्य नहीं है। पांच सौ से ज्यादा नुकसान पर खरा उतरना इन द्वीपों पर है। इस बारे में न्यूज 18 इंडिया ने भोपाल में मध्य प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला से खास बातचीत की।
उन्होंने कहा कि ये बड़ी उपलब्धि है. पांच साल की जो एनबीएच की मान्यता दिल्ली के एम्स के पास नहीं है वो हमारे हमीदिया अस्पताल को मिला है। किसी भी सरकारी अस्पताल में 1820 बेड वाले अस्पताल को हर मानक पर खरा पाया गया है। पांच साल के लिए ये मिला सिद्धांत. ये वही प्रदेश है जहां 2003 से पहले सिर्फ पांच मेडिकल कॉलेज थे। आज 14 मेडिकल कॉलेज हैं. हम इस साल तीन और मेडिकल कॉलेज शुरू कर रहे हैं। इसके बाद कुछ और मेडिकल कॉलेज शुरू होंगे। हम इस बात की व्यवस्था कर रहे हैं कि मेडिकल कॉलेज और नए हॉस्पिटल के साथ एनबीएच के सस्ते आधार पर साडी चीजें अप टू द मार्क होन।
निजी निजी की तरह सरकारी अस्पताल में मिलें दवाएँ
उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि एनबीएच के बारे में यह कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में पहले से ही बहुत बड़ा अंतर चुकाया गया है। प्रदेश में स्थिरता और भी सुधार की जरूरत है। हर महीने के दावे से हमीदिया में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकारी स्कूल और अस्पताल का स्तर वहीं हो जहां आम आदमी जाता है। वहाँ निजी निजीकरण की सुविधा मिले। आयुष्मान कार्ड योजना में ने स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति ला दी है। एक तरफ करोड़ों गरीब लोग 5 लाख रुपए तक का इजाल करा सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ निजी क्षेत्र को भी बल मिला हुआ है। सरकारी नौकरी को भी बल मिला हुआ है. इससे राजस्व भी मिल रहा है।
पहले प्रकाशित : 23 अगस्त, 2024, 17:59 IST