ग्वालियर समाचार: डकैतों से भी मिले खौफनाक, महिला-पुरुष, बाकी सभी मजदूरों में, नहीं मिल रही राहत
ग्वालियर. जिले में लोगों में इन दिनों मछुआरों से बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों की है। एक अध्ययन के अनुसार, आम तौर पर 50 हजार से अधिक स्ट्रीट डॉग होते हैं। स्ट्रीट यह डॉग आक्रामक लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। आलम यह है कि इस साल एक जनवरी से 22 अगस्त तक डॉग बेबी के शिकार 63 हजार 692 लोग सरकारी हिस्सेदारी में रेबीज का इंजेक्शन एरिना। डॉग बेबी का शिकार करने वाले लोगों का कहना है कि डॉग बेबी का आतंक इस आरोप में कहा गया है कि बिना बात के ही हमला कर रहे हैं। गांव हो, डायनासोर हो या शहर हर जगह पर आतंकवादी हमलों की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। ये कुत्ते, स्कूली बच्चे, महिलाएं और बाइक पर लोग हमला कर रहे हैं।
वैक्सीन के प्रभारी रेखा लियोनार्ड ने बताया कि गर्मी के दौरान कुत्तों के टुकड़े के टुकड़े केश आ रहे थे, लेकिन अब उनके सिद्धांतों में कुछ कमी आ गई है। इन दिनों कुत्तों के काटने वाले, दांत गड़ाने वाले और क्रशर लग जाने जैसे मामले सामने आ रहे हैं। लोगों को कॉन्स्टेंट दवा दी जा रही है। मिसाल में ये डॉग स्ट्रीट हर चौक चौराहो और बाद में बेखौफ साएब नजर आएंगे। सूची में शामिल समुदायों के अंदर भी एक दो नहीं बल्कि 4- 6 मवेरी झुंड के झुंड रहते हैं।
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मशीनरी की पॉपुलैरिटी कंट्रोल करने पर भी काम नहीं हो रहा है
लोगों का कहना है कि हर गली-कूचों में जंगली कुत्ते नज़र आते हैं। अब तो आलम ये है कि बाकी लोगों में से ज्यादातर लोगों के लिए मैकेनिज्म का खतरा है. हर वक्त लोगों के दिमाग पर मावेरी माइन का आतंक छाया रहता है। निजीकरण केंद्र बंद हो गए हैं। मेडिकल वैल्यूएशन की बात की जाए तो मैकेनिकल इंजीनियरिंग की जनसंख्या नियंत्रण पर भी काम नहीं हो रहा है। इससे पहले जनसंख्या दिवस प्रतिदिन मोटाई जा रही है।
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पहले प्रकाशित : 24 अगस्त, 2024, 21:15 IST