बिहार

ये कोलमहान रिजन को बढ़ावा देने वाली है भारतीय जनता पार्टी और चंपई में बात बनी, ऐसी शुरू की गई है बात जो बनाएगा निवेशक?

क्स

कोल्हान टाइगर नाम से जाने जाते हैं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन।2020 विधान सभा चुनाव में कोल्हान क्षेत्र में एसएएम ने बड़ी जीत हासिल की।विधानसभा चुनाव 2020 में कोल्हान क्षेत्र के 3 बूथों पर भाजपा शून्य सीट पर है।

रांची. कोलहन टाइगर…चंपई सोरेन को झारखंड की राजनीति में इसी नाम से जाना जाता है. दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सबसे करीबी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्य से एक चंपेई सोरेन अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। 30 अगस्त को चंपेई सोरेन के साथ लोबिन हेंब्रम बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। बता दें कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर युवा नेता चंपई सोरेन ने सोमवार (26 अगस्त) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस बैठक में बीजेपी के प्रभारी असम के सीएम माइकल बिस्वा सरमा भी मौजूद थे. इसके साथ ही यह भी साफ हो गया कि वह बीजेपी में शामिल होंगी. असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर यह जानकारी साझा की कि चंपई सोरेन 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल होंगे। कहा जा रहा है कि चंपे सोरेन के बीजेपी में आने से इस क्षेत्र की राजनीति में बीजेपी के पक्ष में झटका लगेगा।

इससे पहले कि हम कोल्हान क्षेत्र और वहां की राजनीति के बारे में विस्तार से जानें, हम जानते हैं कि अंतिम चैंपियन सोरेन ने करीब पांच दशक के एम एम का यात्रा प्रस्थान का निर्णय क्यों लिया। बता दें कि वैलेंटाइन सोरेन के जेल जाने के बाद पिछले 2 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन झारखंड के 7वें सीएम बने थे. गत 3 जुलाई 2024 तक उन्होंने इस पद पर कार्य किया। चम्पाई सोरेन को जेल से बाहर आने के बाद जेल भेज दिया गया। हाल ही में उन्होंने कहा था कि मुख्य रूप से उन पर घोर अत्याचार का आरोप लगाया गया है और इसी वजह से उन्हें अलग-थलग रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

चम्पी सोरेन ने यह भी आरोप लगाया कि जुलाई के पहले सप्ताह में उनके सभी सरकारी कार्यक्रम पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें बिना अचानक रद्द कर दिया गया था। जब उन्होंने पूछा तो अधिकारियों ने बताया कि तीन जुलाई को पार्टी की बैठक होनी है। तब तक वे किसी भी सरकारी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते। इसके बाद चंपई सोरेन ने घोषणा की कि वह जल्द ही अपना अगला राजनीतिक कदम उठाएंगे। वह राजनीति नहीं छोड़ेंगे और उनके लिए नया मशाला दल बनाने का विकल्प हमेशा खुला रहता है। हाँ, अगर रास्ते में कोई अच्छा दोस्त मिल गया तो उसके साथ भी आगे बढ़ सकते हैं। उनके इस बयान के बाद ही उनकी बीजेपी में शामिल होने की यात्रा निकली थी.

कोल्हान टाइगर को पाले में कर बीस वोट बीजेपी!
बता दें कि झामुमो नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री रसेल सोरेन ने बीजेपी पर अपनी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाने का आरोप लगाया था. खास तौर पर कोल्हान क्षेत्र को लेकर भाजपा अधिक आतुर कही जा रही है। असल में, इसकी बड़ी वजह यह है कि कोल्हान मंडल के तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम आते हैं। इन त्रिमूर्ति में 14 जनजातियां शामिल हैं और चंपई सोरेन का बहुत प्रभाव है। इस क्षेत्र में अभी एटमी के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो चैंपियन सोरेन का विकल्प बन सके। बता दें कि चंपे की मजबूत क्षमता का झारखंड मुक्ति मोर्चा को फायदा मिल रहा है।

चंपे के कंधे पर सवार मियामी को झटका!
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी इस क्षेत्र में मजबूत युवा नेता की तलाश में है। अब चंपई के कंधे पर सवार होकर बीजेपी झारखंड की 81 रिजल्‍ट में से इस इलाके की 14 रीजनल पर अपनी पकड़ मजबूत हो सकती है। यहां यह भी बता दें कि इससे पहले भव्य सरकार का भी हिस्सा रह रहे हैं। वे सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। 2019 में परिवहन और पर्णपाती कल्याण मंत्री भी रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि भाजपा से ट्यूनिंग पहले से बनी हुई है।

पूर्वी सिंहभूम की छह की छह चौथाई पर बीजेपी हारी
कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी सिंहभूम में छह मंदिर हैं। इनमें से बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटाका, जुगसलाई, बस्ती (पूर्व) और बस्ती (पश्चिम) में 2020 के चुनाव में छह जिलों से चार जिलों में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव जीता था। एक सीट कम्युनिस्ट (पश्चिम) में कांग्रेस के बन्ना गुप्ता और एक सीट (पूर्व) में बीजेपी के बागी बागी सरयू राय ने जीत हासिल की। बड़ी बात ये थी कि इस क्षेत्र से सीएम रघुबर दास को हार मिली थी और बीजेपी का खाता नहीं खुल सका था. यानी कोल्हान के पूर्वी सिंहभूम से बीजेपी पूरी तरह से साफ हो गई थी.

कोल्हान के खरसांवा और पश्चिमी सिंहभूम में बीजेपी साफ
वहीं, कोल्हान के सरायकेला खरसावां जिले में भी तीन भाग शामिल हैं। इनमें ईचागढ़, खरसावां, सरायकेला पर भी 2020 में एसटीएम ने ही जीत हासिल की थी। इसके साथ ही पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा, मंझगांव, जगननाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर के पांच विधानसभा क्षेत्रों में 2020 के चुनाव में चार मंच ने घोषणा की थी। वहीं, एक सीट जगन्नाथपुर में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। अर्थात कोल्हान क्षेत्र के 14 विधानसभा क्षेत्रों में से 11, दो कांग्रेस ने माक्र्स और एक सीट पर शोक व्यक्त किया था। यानी बीजेपी को बहुत बड़ा झटका लगा था.

2020 विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ था
बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2020 में झारखंड मुक्ति मोर्चा को 30 पवित्र मूर्तियां मिलीं, जिसमें अकेले कोल्हान से ही 11 पवित्र मूर्तियां शामिल थीं। वहीं कांग्रेस को 16, असोप को एक, कम्युनिस्ट पार्टी को एक, राजकुमार को एक सीट मिली थी। वहीं, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) को 3, बीजेपी को 25, आजसू पार्टी को 2 और स्कोरों को दो सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे में भाजपा गठबंधन बहुमत से दूर रह गया था। रिलायंस सोरेन की कंपनी ने बीजेपी के सभी स्पेक्ट्रमों पर पानी फेर दिया था। जाहिर तौर पर यह एक बड़ा फैक्टर है, चैम्पियन सोरेन भी थेइशॉ कोल्हान में बड़ी जीत हासिल करने में अपनी भूमिका निभा रहे थे।

कोल्हान में भाजपा की राजनीति चमकेगी चंपाई!
राजनीति के नेताओं का कहना है कि अब जब चंपई सोरेन भाजपा के साथ होंगे तो कोल्हान क्षेत्र की 14 सीटों पर गहरा असर दिखेगा। इस क्षेत्र में जदयू का दबदबा रहेगा और कोल्हान टाइगर के अपमान का भाजपा भी विरोध करने की कोशिश करेगी। अगर कोल्हान से भाजपा को अच्छा समर्थन मिल पाया तो जिस तरह से भाजपा का शहरी क्षेत्र में प्रभाव है, उससे झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को जीत मिल सकती है। कम से कम बीजेपी के नेता तो ऐसे अब से ही नजर आने लगे हैं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *