एसडीएम और कलाकार को मैग्जीन पावर बैक मिले, जस्टिस अहलूवालिया की लिखी किताब का असर हुआ
नम्रतापुरम: नॉर्वेजियन नर्सिंग कंपनी सोनिया मीना ने अपर रजिस्ट्रार के हाथों जस्टिस जीएस अहलूवालिया को कंपनी भेजी थी। जिस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से पेश किए गए सरदारों और भाइयों के खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश दिए थे। डिवीजन बेंच ने इसी मामले की सुनवाई 16 अगस्त 2024 को पूर्व में जारी कार्रवाई पर स्टैगन ऑर्डर (स्टे) दी थी। जिसके बाद अपर रजिस्ट्रार डीके सिंह और दिवंगत सिवनी मालवा राकेश खजूरिया को यथावत मजिस्ट्रियल पावर को पुनः आरंभ करने के निर्देश दिए गए। उक्त दोनों अधिकारियों की संपूर्ण दांडिक शक्तियाँ, राजस्व न्यायलायिन कार्य, वित्तीय अधिकार आदि पूर्ववत मेघालय। एपिसोड में अगला प्रसारण 4 सितंबर को होगा। एनबीएल के बेंच के जज जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने नर्मदापुरम के सीईओ समेत अन्य अधिकारियों को राहत दी है। साथ ही साइंट और साकीत की मजिस्ट्रियल पावर भी वापस आ गई है।
जमीनी विवाद को लेकर उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई
जस्टिस अहलूवालिया ने सीधे हाइकोर्ट जस्टिस को लिखित पत्र दिए
जस्टिस अहलूवालिया ने जमीनी विवाद के मामले में सीधे हाइकोर्ट जस्टिस को पार्टिसिपेंट्स पर पुरावशेष और ऑर्डर जारी कर दिया, जिसमें मुख्य सचिव (मप्र शासन) वीना राणा को कलेक्टर, संपत्ति और अमीरों के सर्विस रिकॉर्ड में यह मामला दर्ज करने के लिए लिखा गया। साथ ही संतृप्त और सिवनीमालवा के मजिस्ट्रियल पावर के एक साल के लिए चिंकर दोनों को 6 महीने की ट्रेनिंग पर प्रशिक्षु के निर्देश भी दिए गए हैं। न्यायमूर्ति अहलूवालिया ने अपने आदेश में यह भी लिखा था कि यदि आप पक्षपाती हैं तो वरिष्ठ वकील और समर्थकों के खिलाफ अपराधी और करप्शन का मामला बनाया जा सकता है। स्टेक मीट से संन्यासी को बड़ी राहत मिली है। सिवनी मालवा के प्रदीप अग्रवाल और सिवनी अग्रवाल की जमीन को लेकर विवाद था।
प्रदीप अग्रवाल ने हाई कोर्ट में नए सिरे से नामांकन की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था। ऑर्डर के बाद जब नामांतरण का केश भूमि पर नामांतरण वापस आया तो वहां पर नामांतरण की कार्रवाई ना कर सिवनी मालवा भगत ने दूसरे पक्ष के अनुमोदन से दुर्लभ काप्लिकेशन रिकॉर्ड में लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी, जबकि उच्च न्यायालय का आदेश था कि नाम परिवर्तन करना है, ना कि बंटवारा. इसके पक्षकार प्रदीप अग्रवाल ने आवेदन के खिलाफ अपर नेपोलियन को खारिज कर दिया और निर्देश दिया कि यह अभियोजन पक्ष के आदेश का उल्लंघन है, जिसे सुधारा जाए। वरिष्ठ वकील ने भी स्टेक की कार्यवाही को सही ठहराया और कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जा रहा है। जो कि एलेक्जेंडर कंपनी की ओर से आयोजित की गई थी। उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्रार को तलब किया. अभियोजकों में शामिल नहीं होने का कारण लिखा हुआ अभिलेखीय अभिलेख है।
पहले प्रकाशित : 28 अगस्त, 2024, 11:11 IST