महाराष्ट्र

पानी में स्थित सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक, 76 करोड़ रुपये की लागत; वधावन पोर्ट के 7 निवासी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को महाराष्ट्र के पालघर में वधावन बंदरगाह परियोजना की सूची जारी करेंगे। इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 76,000 करोड़ रुपये है। इस मौक़े पर मोदी ने कहा, ‘महाराष्ट्र का विकास मेरी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। आज भारत की प्रगति में महाराष्ट्र बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। यह दुर्भाग्य की बात है कि महाराष्ट्र विरोधी विचारधारा आपके विकास को हमेशा के लिए तोड़ने की कोशिश कर रही है। हमारे देश को वर्षों से दुनिया के साथ व्यापार के लिए एक बड़े और आधुनिक बंदरगाह की आवश्यकता थी। इसके लिए महाराष्ट्र का पालघर सबसे उपयुक्त जगह है, लेकिन यह प्रोजेक्ट 60 साल से लटका हुआ है। जरूरी काम को कुछ लोग शुरू नहीं कर रहे थे।’ उदाहरण के तौर पर हम आपको वधावन बंदरगाह के अवशेष हैं….

1. वधावन बंदरगाह परियोजना का उद्देश्य विश्वस्तरीय समुद्री प्रवेश द्वार स्थापित करना है, जो देश के व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

2. पालघर जिले के दहानू शहर के पास स्थित वधावन बंदरगाह भारत में गहरे पानी में स्थित सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक होगा।

3. यह अंतर्राष्ट्रीय समुद्री परिवहन के लिए सीधे संपर्क प्रदान करता है, समय की बचत और लागत में भी कमी लाता है।

4. वधावन एंटरप्राइजेज टेक्नोलॉजी और रेस्टोरेंट से लेज़ रखा जाएगा। इसका प्रबंधन प्रणाली भी आधुनिक होगी।

5. बंदरगाह से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा होने, स्थानीय मुसलमानों को प्रोत्साहन बैठक और क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास में मदद की उम्मीद है।

6. वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट में वैश्विक प्रभाव को कम करने और समग्र मानक का पालन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

7. एक बार होने वाले चालू के बाद यह बंदरगाह भारत के समुद्री संपर्क को बढ़ाएगा। साथ ही, वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में स्थिति को और मजबूत बनाना।

पीएम मोदी ने कहा कि यह देश का सबसे बड़ा ड्रॉइंग पोर्ट होगा। ये देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे गहरे बंदरगाह में से एक महत्वपूर्ण बंदरगाह होगा। उन्होंने कहा कि एक समय था, जब भारत विश्व के सबसे समृद्ध और निरंकुश राष्ट्रों में से एक बन गया था। भारत की इस समृद्धि का एक बड़ा आधार था- भारत की सामुद्रिक विशिष्टता… हमारी इस शक्ति को महाराष्ट्र से बेहतर और कौन जानेगा? छत्रपति शिवाजी महाराज ने समुद्री व्यापार को, समुद्री शक्ति को एक नई मंजिल दी थी। उन्होंने देश की प्रगति के लिए नए अभिलेख बनाए।

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