‘बेटे को पढ़ाओ, बेटी को बचाओ’, अंबेडकरपुर रेप केस में हाई कोर्ट ने कही ये बात
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को अंबेडकरपुर इलाके में स्थित 2 स्कूल में यौन उत्पीड़न के मामले पर अहम टिप्पणी की। एफसी ने केस की जांच कर रही पुलिस टीम से कहा कि वह गलती पर केस तैयार कर रही थी और जन दबाव में आरोप पत्र में कोई सबूत नहीं था। न्यायमूर्ति रेवती राज मोहिते डेरे और पृथ्वी चव्हाण के खंड ने कहा कि वैज्ञानिकों को भी प्रार्थना करनी चाहिए। जस्टिस डेरे ने सरकार के नारे में बदलाव करते हुए कहा, ‘बेटे को पढ़ाओ, बेटी को बचाओ।’ प्रियंका ने पिछले महीने यह घटना स्वतः ही ली थी, जिसमें स्कूल के शौचालय में करीब 4 साल के दो बच्चों के पुरुष अटेंडेंट के साथ यौन उत्पीड़न किया गया था। बुज़ुर्ग को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
सरकार की ओर से पेश किए गए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि जल्द ही उनके खिलाफ आरोपपत्र खारिज कर दिया जाएगा। पीठ ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन इसलिए हुआ क्योंकि स्थानीय पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की और आम लोग काफी नाराज थे। कोर्ट ने कहा, ‘यह एक बड़ी संपत्ति है। यह मामला भविष्य में ऐसे सभी मामलों के लिए मिश्रित प्रतिभागियों के लिए है। जनता देख रही है और हम जो संदेश दे रहे हैं वह अहम है। इसलिए चार्जपत्रा प्लेस न करें। अब भी समय है. जनता के दबाव में न उद्देश्य। आरोप पत्र भरने से पहले जांच ठीक से होनी चाहिए।’
‘क्या केस डायरी इसी तरह लिखी गई है?’
हाई कोर्ट ने कहा कि आरोप पत्र भरने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि सब कुछ ठीक है। एक त्रुटिहीन मामला तैयार करें। एसआईटी की खानदानी के लिए कोर्ट ने केस डायरी को ठीक तरीके से तैयार नहीं किया। उच्च न्यायालय ने पूछा, ‘क्या केस डायरी इसी तरह लिखी गई है?’ न्यायाधीशों ने कहा कि जांच के हर चरण का उल्लेख केस डायरी में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डायरी में इसका विवरण नहीं दिया गया है। पृष्णि ने कहा, ‘प्रयासों को अभी तक ट्रेन नहीं किया गया है। केस डायरी में रूढ़िवादी शब्दों का प्रयोग किया गया है। हम विवरण के संबंध में जांच के तरीके से परिचित नहीं हैं। हमें कोई ठोस कदम नहीं दिखता।’
‘स्कूल में लड़कियों की सुरक्षा के बारे में हो विचार’
बेंच ने कहा कि इस तरह से केस डायरी मेकर का उद्देश्य विफल हो गया है। यह असल में इस मामले की घटिया जांच का विवरण है। इस बीच, महाधिवक्ता सराफ ने एचसी को बताया कि सरकार ने स्कूलों में लड़कियों की सुरक्षा के लिए समिति के सदस्यों पर विचार किया है। कोर्ट ने कहा कि हमें वैज्ञानिकों की सुरक्षा की भी जांच करनी चाहिए। पृवीन ने कहा, ‘समिति स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान दे रही है। हम इसे लैंगिक-तत्स्थ कहते हैं। सिर्फलड़कियां ही नहीं, लड़का भी। सिर्फ इसलिए कि वह लड़का है, इसका मतलब यह नहीं है कि कुछ भी शानदार नहीं होगा।’ कोर्ट ने मामले की सुनवाई 1 अक्टूबर तक के लिए जारी कर दी।