बिहार

भूमि सर्वेक्षण योजना से पहले जरूर जान लें भंडार कोण, कोई नहीं कर सकता छह-पांच, समझ लें पूरा गणित

बिहार में भूमि सर्वेक्षण का काम तेजी से चल रहा है. समकालीन लेकर कई लोग कंफ्यूज भी हैं. लेकिन हम यानी ऑनलाइन 18 आपको इसकी हर चीज के बारे में लगातार अपडेट देते रहते हैं। इस वजह से आपको किसी भी तरह की परेशानी होने की जरूरत नहीं है।

ऑफ़लाइन-ऑफ़लाइन दोनों माध्यम से अप्लाई

प्रारंभिक चरण में एप्लिकेशन ऑफ़लाइन और ऑफ़लाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध हैं। इसके बाद सीमांकन का कार्य शुरू होगा, जहां सर्वेक्षण भूमि स्थल पर उसकी टीम की गणना होगी। इस मापपी का कार्य “भंडार कोण” से किया जाएगा।

भंडार कोण का अर्थ होता है वह दिशा, जिस भूमि को उत्तर और पश्चिम दिशा के लिए निर्धारित किया जाता है। इस विस्तार से दी गई जानकारी में बताया गया है कि भूमि सर्वेक्षणकर्ता की पहली प्रक्रिया यह है कि रैयट (जमीन के मालिक) स्वघोषणा के साथ अपना आवेदन करेंगे।

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इसके बाद “किश्तवाड़” नामक प्रक्रिया मौजूद है, जिसमें दस्तावेज़ के आधार पर प्लॉट की जांच की जाती है। इसी प्रक्रिया में भंडार कोने का अड्डा होता है, जो उत्तर और पश्चिम से तय होता है।

भंडार कोने से त्रिसीमाना (तीन तटों का शोरूम) तय किया जाता है, जिससे सही और कुशल मापी करने में मदद मिलती है। जब सर्वेक्षण दल आपके क्षेत्र में, तो आपको यह रेखांकन करना चाहिए कि नापी की शुरुआत आपके गांव या क्षेत्र के उत्तर और पश्चिम दिशा के कोने से होगी।

इस दौरान, रैयतों (भूमि भूमि) को अपनी भूमि पर निवास की आवश्यकता होती है, ताकि सर्वेक्षण दल यह सुनिश्चित कर सके कि किस भूमि पर आपका कब्जा है और वह आपका है।

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