झारखंड में अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी रह रहे हैं: केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया – अमर उजाला हिंदी न्यूज़ लाइव
झारखंड उच्च न्यायालय
– फोटो : एनीनी (एफएएफए)
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केंद्र सरकार ने झारखंड के उच्च न्यायालयों को राज्य में अवैध बांग्लादेशी प्रवासी राहें दी हैं। सरकार ने जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण राय कुमार के समक्ष एक हलफनामा तैयार किया, जिसमें उन्होंने यह जानकारी दी कि बांग्लादेशियों ने साहेबगंज और पाकुड़ के चमत्कारों को अवैध तरीके से राज्य में दर्ज किया है।
आधे नाम में यह भी लिखा गया है कि पासपोर्ट की जमीन को ‘डैनपत्र’ के माध्यम से अलग कर दिया गया है। कहा गया है कि पासपोर्ट की सूची में महत्वपूर्ण कमी है, इसके कारण धर्म परिवर्तन और कम जन्म तिथि है।
साहेबगंज और पाकुड़ में मदरसों की संख्या में वृद्धि: केंद्र सरकार
गृह मंत्रालय के निदेशक सचिव प्रताप सिंह रावत के अनुसार, संथाल परगना से बाहर पलायन भी जनसंख्या में कमी का एक कारण है। इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों में साहेबगंज और पाकुड़ में मदरसों की संख्या में वृद्धि हुई है। हाफनामे में कहा गया है कि अवैध प्रवासी स्थानीय बोली लगाए गए हैं, जिससे उनके राज्य में घुसपैठ करना आसान हो गया है।
केस की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी
हाफनामे में असम में भी अवैध बांग्लादेशी किले के प्रवेश का भी जिक्र किया गया है। रावत ने कहा कि भारत और बांग्लादेश की 4096.7 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिससे घुसपैठ करना आसान हो जाता है। संथाल परगना में पोर्क के धर्म परिवर्तन पर सोमा ओरानव और बांग्लादेशी विद्रोह पर डैनियल के ओर से अंतिम नामांकन दाखिल (कुशल एल) पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
धर्म परिवर्तन किया जा रहा है: प्रस्ताव
ओरांव ने अपनी याचिका में दावा किया है कि संथाल परगना में अन्य धर्मों को भी इसी तरह से पवित्र तरीके से बदला जा रहा है। वहीं, दानिश ने दावा किया कि गैरकानूनी रूप से अवैध खरीदारों ने जमीन पर कारोबार भी शुरू कर दिया है और झारखंड के निवासियों के फर्जी दस्तावेज बना लिए हैं।