क्राइम

कराची में लैंड हुआ इंडियन एयरलाइंस का प्लेन, पाक आर्मी ने खा लिया मिलवाया मीठा जहर, और फिर हुआ एक बड़ा ऑपरेशन

इंडियन एयरलाइंस विमान अपहरण: आज से करीब 48 साल पहले फुले के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पालम एयरपोर्ट के नाम से जाना गया था। तब आईजीआई एयरपोर्ट पर सिर्फ एक ही टर्मिनल था, जिसे आज टर्मिनल वन के नाम से पहचाना जाता है, उस समय इस टर्मिनल की पहचान पाम एयरपोर्ट के नाम से थी। ये बात 10 सितंबर 1976 की है. इंडियन एयरलाइंस के विमान 83 यात्रियों के साथ पालम एयरपोर्ट से मुंबई के लिए उड़ान का भुगतान किया गया था। उड़ान के कुछ समय बाद अचानक एक-एक कर छह युवा डेड हो गए। इसमें से कुछ कॉकपिट की तरफ बढ़ गए और कुछ थोड़ी-थोड़ी दूरियां पर तय हो गईं।

कुछ समझ में आया, इससे पहले दो युवा कॉकपिट में एरोसोल में सामिल हो गए और दोनों पायलट की कनपटी पर पिस्तौल तान दी। इसके बाद, कॉकपिट के बाहरी हिस्से ने भी अपने हथियार को बाहर निकाल लिया और हाईजैक-हाईजैक चिललाने लगे। इन टुकड़ों के हाथों में पिस्टल देख और हाईजैक की बात सुन पूरे प्लेन में अपहरण मच गया। इधर, कॉकपिट में मौजूद हाइजैकर्स ने कैप्टन बीएन रेड्डी और को-पायलट आरआरजी यादव को प्लेन लीबिया की तरफ ले जाने का झटका सुनाया। जिस पर कैप्टन बीएन रेड्डी ने हाईजैकर्स से कहा कि उनके पास सिर्फ या सिर्फ जयपुर पहुंच तक का समय है।

हाईजैकर्स इन दो हवाईअड्डों पर उतरना नहीं चाहते थे
इस बीच, कैप्टन बीएन रेड्डी ने हाईजैकर्स से इच्छा पूछी कि आप लोग क्या चाहते हैं? हाईजैकर्स ने इस सवाल के जवाब में सिर्फ इतना कहा कि जो कहा जाए, सिर्फ दो मत करो। कैप्टन बीएन रेड्डी ने अपनी बात फिर दोहराई कि उनके पास लीबिया जाने के लिए फ़्यूल नहीं है, लेकिन वह एक ही क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहे हैं, लेकिन अब मुंबई जाने के लिए भी फ़ुल नहीं बचा है। लीबिया जाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के साथ-साथ एयर मैप्स और एटीसी कंट्रोल सपोर्ट की भी जरूरत होगी। वह इस प्लेन को सिर्फ फुल फॉर्म या जयपुर एयरपोर्ट पर ही ले जा सकता है। लेकिन, हाईजैकर्स इन दोनों हवाई अड्डों पर उतरने के लिए तैयार नहीं थे।

कैप फ्लाइटन बीएन रेड्डी की बात सुनने के बाद हाईजैकर्स ने दोनों पायलटों को स्थिर के कराची एयरपोर्ट का आक्षेप सुनाया। इस बीच, पायलट ने एटीसी को प्लेन हाईजैक होने के संकेत नीचे भेजे थे और यह प्लेन अब्राकैची की तरफ बढ़ गया था। सोसाइटी सिविल एविएशन अथॉरिटी से इजाज़त मीटिंग के बाद इंडियन एयरलाइंस का यह प्लालेन कराची एयरपोर्ट पर जमीन का भुगतान हो गया था। कई घंटे बीच जाने के बाद भी हाईजैकर्स की तरफ से उनकी कोई तस्वीर सामने नहीं आई थी। इस बीच, भारत सरकार ने इस मामले में बस्ते पर यात्रियों और क्रू को सकुशल रेस्क्यू का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

भारत के दबाव के आगे झुकने को मजबूर होना पड़ा
भारत का दबाव काम आया और रेस्तरां रेस्टाकम्प ऑपरेशन के लिए तैयार हो गया। रेस्माकटाइम ऑपरेशन की जिम्मेवारी बिक्री सेना को खत्म कर दिया गया। रणनीति के तहत, हाईजैकर्स की नाख़ून को पूरा करने में देरी की जाने लगी। इसके अलावा, स्थिर जमीन पर पहुंच के बाद हाईजैकर्स भी निश्चिंत लग रहे थे। संदर्भ, इस विलंब पर कोई विशेष विरोध दर्ज नहीं किया गया। इधर, एक खास मकसद के साथ फैक्ट्री सेना हाईजैकर्स की आवभगत में लग गई। पाक सेना ने हाईजैकर्स को भरपेट खाना दिखाया और पीने के लिए अलग अलग पेय पदार्थों का नमूना दिया। पाक सेना के खाने और शराब पीने वाले ने कुछ ही समय बाद अपना असर दिखाना शुरू कर दिया।

असल में, हाईजैकर्स को भोजन भेजा गया और पेय पदार्थ में डेस्टिनेशन औषधि मिली हुई थी, जिससे प्रभावित होकर सभी हाईजैकर्स बेहोश हो गए। इसके बाद हाईजैकर्स पर नजर गड़ाए प्लॉट पाक सेना के कमांडो प्लेन में चली गई और सभी हाईजैकर्स को गिरफ्तार कर लिया गया। अपराधियों के बाद, इन हाईजैकर्स की पहचान एम अहसान फोटोग्राफर, खालिद अब्दुल हमीद दीवानी, अब्दुल रशीद आमिर, सईद एम रफीक, ख्वाजा गुलाम और गुलाम रसूल के तौर पर हुई। ये सभी कासिमरी कलाकार थे। हाईजैकर्स की गर्लफ्रेंड के बाद प्लेन ने सभी 83 यात्रियों और क्रूज़ के साथ मिलकर छुट्टी कर दी। हाईजैक प्लेन अगले दिन यानी 11 सितंबर 1974 को अपने सभी यात्रियों और क्रू के साथ सकुशल पहुंच गया।

अन्य हाईजैकर्स को मिली रिहाई, इधर सुरक्षा अधिकारी गिरी गाज
रेजिडेंट्स ने हाईजैकर्स को भारत के लिए समर्पित करने की बजाय अपनी जेल में दाखिल याचिका की बात कही। एक बार फिर से इस चाल से उसकी मूर्ति पर एक बार फिर से साजिश की बू आने लगी। कुछ महीने बाद पाकिस्तान ने इन हाईजैकर्स के सबूतों की कमी के आधार पर रिहा कर दिया। वहीं, यहां भारत के तत्काल पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री राज ब्रेव ने इस अपवित्रता की गहन जांच के आदेश देते हुए 11 सुरक्षा अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। हालाँकि अभी तक यह बात रहस्यपूर्ण बनी हुई है कि इस हाईजैक के पीछे का उद्देश्य इस हाईजैक के पीछे था और इस हाईजैक के पीछे की कहानी के पीछे कौन से नापाक मंसूबे शामिल थे।

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