क्राइम

लाहौर का आईसी-123 लैंड हुआ, फिर पायलट की बारात में एक शाख झटका आया, मौजूदा यात्रियों की रूह में कांप गया प्लेन

विमान अपहृत कहानी श्रृंखला: फिलाडेल्फिया के पालम एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-123 ने लगभग 135 यात्रियों और क्रूज़ यात्रियों के साथ उड़ान भरी थी। इस फ़्लाइट को अमृतसर में हुआ स्थित था, अफ़्रीकी गणराज्य. यह अपने निर्धारित समय पर अमृतसर पहुंच गया और फिर वहां से आक्रमण के लिए रवाना हो गया। टेक ऑफ होने के कुछ समय बाद एक शख़्स अपनी सीट से उठा और प्लेन के कॉकपिट में हार गया। इस शख़्स के हाथ में कुछ था, जो उसने कपड़ों से लपेटा हुआ था।

कॉकपिट में प्लाईन हाईजैक हो गया है… अब यह प्लेन गंगा नहीं लाहौर जाएगा। कपटन ने जब कुछ देखने की कोशिश की तो इस शख़्स को उखाड़कर अपने हाथ में मौजूद चीज़ को दिखाते हुए कहा कि मेरी बात नहीं मानी तो हाथ से ग्रेनेड से ऊपर उठो। कैप फ़्लैटन के पास अब कोई विकल स्माइक नहीं बचा था, साँचा फ़्लोटन का रुख़ लाहौर की ओर कर दिया गया। अब तक कैप प्लांटन एयर चैंबर कंट्रोल को फ्लाइट हाईजैक होने की संभावना थी।

लाहौर के ऊपर 40 मिनट तक चककर जुड़ते रहे
वहीं, हाईजैक के सिंगल पार्टनर ही लिंक इंडियन सिक्यॉरिटी एजेंसीज और डि प्लायोस्मिथ चैनल पर अपना काम शुरू कर दिया गया है। एयर कंपनी कंट्रोलर की ओर से अब तक यह कहा जा चुका है कि प्लैन लाहौर की ओर से भुगतान बढ़ा दिया गया है। इस बीच, डि प्लाइओ स्कीम चैनल के विक्रय पर यह दबाव बनाया गया था कि वह किसी भी कीमत पर भारतीय एयरलाइंस के इस प्लालेन को लाहौर में जमीन न होने दे। अब तक प्लेन में सवार क्रू और यात्रियों को भी पता चला था कि उनके फ्लाइट हाईजैक को एक साथी ने हाईजैक कर लिया है.

यह प्लालेन करीब 40 मिनट पहले लाहौर के ऊपर चॉक्कर स्थापित होने तक गया था, लेकिन बेरोजगार अधिकारियों ने प्लालेन को लाहौर हवाईअड्डे पर डेवलप की उड़ान नहीं दी। अब प्लास्टिक में इतना ईंधन नहीं बचा था कि वह आकाश में चक्र तक अधिक समय लगा सके। इसी बीच, यह प्लेन ब्रेड हिट का शिकार हो गया। दो दावे को देखते हुए पायलट ने एलएचएम एयर कंपनी कंट्रोल से संपर्क किया और हाईजैकर को बताया कि वह लाहौर एयर कंपनी कंट्रोल से बात कर रही है। फ़्लोरिडा एटीसी के मौजूदा अधिकारियों और पायलटों के बीच तय हुआ कि प्लेन अब अमृतसर में उतरेगा।

यात्रियों की रुह को देखने के लिए प्लेन में डंड शुरू हुआ
फिलीपीन एटीसी से बातचीत पूरी होने के बाद कैपटन ने हाईजैकर को बताया कि लाहौर एयरपोर्ट पर लैंडिंग की शुरुआत हुई है, वह कुछ ही मिनटों में जमीन पर उतरने वाले हैं। प्लेन के उतरने के बाद ही हाईजैकर को पता चला कि प्लेन लाहौर नहीं, बल्कि अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा है। अब हाईजैकर चाह कर भी कुछ नहीं कस्ता था। हाईजैकर से निगोशिएशन प्रॉसेस शुरू हो गया। शुरुआत में हाईजैकर में हाईजैकर ने पंजाब की राजनीति से जुड़े लोगों से ही बात करने की शर्त रखी। लेकिन उसकी यह मांग नहीं मानी गयी. अंतिम में, बातचीत के लिए प्रकाश सिंह मजीठा आये।

निगोशैक्शन प्रोसेज़ के दौरान, हाईजैकर को इस बात के लिए राजी किया गया कि वह सवार महिलाओं और साथियों को छोड़ने के लिए तैयार है। हाईजैकर ने प्लैन में सवार 51 महिलाओं और तीन पार्टलें को प्लैन से बाहर भेज दिया। इसी बीच, पंजाब पुलिस का एक इनिशिएटिव फ़्लोरिडा पायलट की पर्सनल प्लेन में पैलिज़ होने में सफलता हासिल हुई। उन्होंने कैप्ल्टन वीके मेहता से वर्थमान् में कुछ बात की और हाईजैकर की भविष्यवाणी भटकाने के लिए कहा। हाईजैकर का रिव्यू भटकते ही इन क्रीएक्टरों ने हाईजैकर को न्यूजीलैंड ले लिया। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए लैपटॉप और हाईजैकर के बीच जारी कुरीतियों पर एक नजर डालें।

रबर की बॉल से हाईजैक कर लिया गया था इंडियन एयरलाइंस का प्लेन
अध्ययनकर्ता ने कहा कि इस नाराजगी से नाराज होकर हाईजैकर ने कहीं हाथ ग्रेनेड की पिन न निकाल दी। हाईजैकर ऐसा करता है, इससे पहले कुछ पैसेंजर्स ने हिमतटेक्लाई और हाईजैकर को न्यूक्लॉंजने में क्लिपर की मदद करने में मदद की। चार घंटे लंबी चली जद्दोजहद के बाद अब हाईजैकर पंजाब पुलिस के आतंकियों में थी। वहीं, इस हाईजैकर के पास मिले हैंडग्रेनेड की जांच की गई तो पता चला कि वह हैंडग्रेनेड नहीं, बल्कि रबड़ की एक गेंद है। पूछताछ में पता चला कि जयकर का नाम गुरुबख्श सिंह है और वह कुरूक्षेत्र जिले का रहने वाला है। उसने कुछ धार्मिक चरमपंथियों की रिहाई के लिए प्लेन हाईजैक कर लिया था।

गनीमत रही कि कैप्टन वीके की एसोसिएट्स और पंजाब पुलिस की पार्टनरशिप में 4 अगस्त 1982 को इस प्लेलेन हाईजैक को फेल कर दिया गया। साथ ही, प्लेन में सवार सभी 135 यात्रियों और क्रूज़ को सकुशल रेस्माकैंप लिया गया। यहां आपको बता दें कि इस प्लेन में 135 यात्री और 70 विदेशी नागरिक थे।

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