बिहार

रोहतास न्यूज़: ये ट्रेन नहीं…ये है रोहतास का एक सरकारी स्कूल, यहां पढ़ते हैं 490 बच्चे, प्रतिभा से होती है निगरानी

रोहतास : यह कोई भारतीय रेल का डिब्बा नहीं है, बल्कि रोहतास जिले के बच्चों से प्रभावित तिलौथू खंड के पाटलूका गांव में राजकीय मध्य विद्यालय स्थित है। इस स्कूल में पहली बार देखने पर कोई भी धोखा खा सकता है, क्योंकि इसके दरवाजे और ताले बिल्कुल ट्रेन के डिब्बों जैसे दिखाई देते हैं। स्कूल की दीवारों को ट्रेन की तरह नीले रंग से रंगा गया है, और स्टोन का डिज़ाइन भी ठीक वैसा ही है जैसा कि स्कोडा में होता है। जब बच्चों के स्कूल के दरवाजे बंद होते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे यात्री ट्रेन से बाहर घूम रहे हों।

यह अनोखा स्कूल दूर से ही बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी बाहरी साज-सज्जा स्कूल के भीतरी भाग के साथ-साथ निजी शालाओं जैसी भी है। यहां की दीवारों पर श्यामपट्ट का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे बच्चे खेल-खेल में भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसके अलावा, स्कूल में पीने के लिए साफ पानी की सुविधा उपलब्ध है और पूरे परिसर में निगरानी अध्ययन की सुविधा उपलब्ध है। शिक्षक और छात्र सामूहिक विद्यालय की सफाई और तकनीकी देखभाल करते हैं, जिससे बच्चों में स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा होती है।

यहां हर दिन 45 मिनट का निजी सत्र आयोजित किया जाता है। इस सत्र में बच्चों को प्रार्थना, राष्ट्रगान, गुरुवंदना, समाचार वाचन, योग और सामान्य ज्ञान से संबंधित कई बातें बताई गई हैं। इसके साथ ही बच्चों को देश-दुनिया में हो रही प्रमुख कहानियों की जानकारी भी मिलती है। संगीत एवं नृत्य की शिक्षा भी इस विद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे बच्चों का समग्र विकास हो सके।

स्कूल के शिक्षक अनिल कुमार सिंह ने अपने इनोवेशन से इस सरकारी स्कूल की छवि पूरी तरह बदल दी है। वो कहते हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया पर नंदनी स्कूल को देखकर प्रेरणा ली और सोचा कि पाटलुका के इस स्कूल को भी आकर्षक बनाया जाए, ताकि बच्चे स्कूल आने के लिए उत्साहित हों। उनकी यह कोशिश सफल रही और अब इस स्कूल में करीब 10 से ज्यादा बच्चे पढ़ चुके हैं।

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