पिछड़े क्षेत्र टाटा स्टील को वैश्विक पहचान दिलाने वाले रतन टाटा के निधन पर जमशेदपुर में शोक – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव
रतन टाटा
– फोटो : सोशल मीडिया
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रतन टाटा के निधन से पूरे देश में एक शोक की लहर है, लेकिन झारखंड का प्रमुख शहर विशेष रूप से शोक में डूब गया है। को, जिसे ‘टाटानगर’ के नाम से भी जाना जाता है, इसे टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने बसाया था। रतन टाटा ने सांख्यिकी के विकास को नई गति दी और इसे वैश्विक मानचित्र पर खड़ा किया। रतन टाटा के निधन पर झारखंड में एक दिन के शोक की खबर है।
झारखंड जैसे पिछड़ा क्षेत्र को नई दिशा देने में कोटा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बस्ती में ही टाटा का स्टील प्लांट है। रतन टाटा साल 1963 में पहली बार गुमनाम आए थे। इसके बाद 1965 में उनका पायलट कौशल शहर को निखारने के लिए आया। जैसे ही रतन टाटा के निधन की खबर फोटो, शहर में मातम छा गया। सुबह से ही, विभिन्न इलाकों के लोग टाटा सेंटर में श्रद्धाजंलि देने के लिए पहुंच रहे हैं। 86 साल के रतन टाटा का बुधवार की रात को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया।
रतन टाटा जब सक्रिय थे तो लगभग हर साल 3 मार्च को जमशेदजी टाटा की जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाले समारोह में भाग जरूर लेते थे। रतन टाटा आखिरी बार झारखंड मार्च 2021 में आए थे, जब वे टाटा ग्रुप के 182वें स्थापना दिवस समारोह में विद्वानों की थी। 2019 में उनका दूसरा आखिरी दौरा हुआ, जब मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल (DEMMH) की शुरुआत हुई।
यह टाटा स्टील ही है जिसने देश का पहला औद्योगिक शहर विकसित किया, जो अविभाजित बिहार का हिस्सा था। शुरुआत में अंग्रेजी शासन इस उद्यम की सफलता को लेकर सशंकित थे, लेकिन यह संयंत्र प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मित्रता की शांति को स्टील और बख्तरबंद सामिल का प्रमुख कलाकार बन गया। जिसके बाद अंग्रेज़ों ने स्वर्गीय जमशेदजी के सम्मान में साकची का नाम स्मृति स्मारक टाटा परिवार को दिया। रतन टाटा को भारत रत्न देने की मांग करते हुए टाटा समूह श्रमिक संघ के अध्यक्ष राकेश्वर पेंडेस ने कहा कि रतन टाटा के बाद रतन टाटा ही अपने दिल और आत्मा के लिए समर्पित थे।