बिहार

रबी बिजनेस में फार्मास्युटिकल बीज उत्पादन से किसानों को मिल रही नई दिशा

रोहतास: यहां किसान अपने उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक उपयोग का उपयोग कर रहे हैं। इनमें से एक प्रमुख तकनीक है. फार्मास्युटिकल बीज उत्पादन प्रणाली, जिसका उपयोग विशेष रूप से रबी बीजाणु के लिए किया जा रहा है। यह प्रणाली व्यावसायिक गुणवत्ता और उत्पादन वृद्धि में अहम भूमिका निभा रही है।


हेल्थकेयर बीज: क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

भौतिक बीज को “मूल बीज” कहा जाता है, जो बीज उत्पादन की प्राथमिक और महत्वपूर्ण कड़ी है। इस बीज को ब्रीडर शीट से तैयार किया जाता है और बाद में इसे फाउंडेशन बीज (फाउंडेशन सीड) की श्रेणी में रखा जाता है। फसली बीज का उपयोग फसल की गुणवत्ता और साक्ष्य के लिए किया जाता है, जो किसान का उत्पादन बेहतर बनाता है। इसे विशेष रूप से नियंत्रित और निरीक्षण में रखा जाता है, ताकि उच्च गुणवत्ता वाले बीज सुरक्षा हो।

बीज उत्पादन की प्रक्रिया
चाकलेट बीज उत्पादन की प्रक्रिया अत्यंत संबद्ध है। किसान फॉलोइंग स्टेज का अनुसरण कर इस प्रक्रिया को सफल बना सकते हैं:

1. बीज का चयन: सबसे पहले स्वस्थ और बढ़िया पेट्रोलियम पदार्थों का चयन किया जाता है। इन प्रमाणित से बीज तैयार किये जाते हैं, जिससे फसलों की गुणवत्ता उच्च बनी रहती है।

2. नियंत्रित कृषि क्षेत्र: किसानों के निरीक्षण में फसली बीज को शामिल किया जाता है। कच्चे माल के बीच सात्त्विक दूरी (लगभग 3 मीटर) की दर बनी रहती है, जिससे बीज की उत्पादकता और फसल की वृद्धि बनी रहती है।

3. फ़ाउंडेशन बीज में रूपांतरण: फ़ाउंडेशन बीज से बीज तैयार करने के बाद इसे फ़ाउंडेशन बीज (एफएस सीड) में बदल दिया जाता है। इसके बाद यह बीज तिल बीज (टीएल सीड) के रूप में विकसित हुआ है। ये तीन प्रकार के बीज किसानों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली फसल उगाने के बेहतरीन विकल्प मौजूद हैं।

बीज परिवर्तन की आवश्यकता
किसानों को हर 8-10 फसल के बाद बीज लगाने की सलाह दी जाती है। पुराने बीज के प्रयोग से बीज जनित मसाले का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उत्पादन में गिरावट आ सकती है। इसलिए, समय-समय पर बीज परिवर्तन की आवश्यकता है, ताकि फसल, स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली बनी रहे।

किसानों के लिए फिलेक्टस बीज उत्पादन प्रणाली एक प्रभावशाली और आधुनिक सिद्ध तकनीक हो रही है। इस प्रणाली से न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि किसानों की आय भी आधी होती है। सही बीज और वैज्ञानिक के उपयोग से किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं और कृषि उत्पाद में नई ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।

टैग: बिहार समाचार, स्थानीय18

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