मधुमक्खी पालन: मधुमक्खी पालन करने वाले ध्यान दें! इस खतरनाक परजीवी रोग का बढ़ता खतरा, ऐसे करें पहचान और बचाव के उपाय
धारा:- बिहार-झारखण्ड में किसान भाई-बहन बड़ी तेजी से किसान अपना रहे हैं, क्योंकि इस व्यवसाय में थोड़ी सी मेहनत करने पर अच्छा लाभ किसानों को मिलता है। लेकिन बौद्ध विहार की परंपरा बहुत पुरानी है और यह एपिस सेराना के साथ प्रचलित थी, जिसमें मिट्टी के बर्तनों को रखा जाता था। आज के दौर में किसान भाई काठ के बक्सा में बौद्ध धर्म का पालन कर रहे हैं। बिहार-झारखंड के किसानों के अनुसार प्लांट की बात करें तो एपी मेलसिफेरा जैसे प्लांट का पालन कर रहे हैं। इन अलैण्डल ने राज्य में विभिन्न प्रकार के कृषि क्रीड़ाकोश में खुद को अच्छी तरह से दर्शाया। लेकिन पिछले तीन-चार प्राचीन से लेकर लौकिक परजीवी रोग का खतरा बढ़ रहा है। इस वजह से किसानों को नुकसान भी सहना पड़ता है. आइए जानते हैं कि इस रोग की पहचान और निदान कैसे करें।
विलासिता परजीवी किट से ब्रेकअप को ये नुकसान
कृषि विज्ञान केंद्र फार्मेसियों कीट रोग प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. नागनागोड़ा के पैनल ने लोकल 18 को बताया कि पिछले चार साल से ग्लोसिव परजीवी किट का खतरा होने के कारण इंजीनियर के किसानों को नुकसान हो रहा है। इस बीमारी की वजह से कई विश्वासियों की कॉलोनी रेस्टलेस हो गई है। इस बीमारी में श्रीकांत का खून क्रीम का काम आकर्षक परजीवी कीट करते हैं। रिवायत बॉक्स छत्ता के अंदर उजला, पीला धब्बा स्टॉक, तो यही है इसके लक्षण। इस कीट का नाम एकरापिस वुडी बताया जा रहा है। ब्रूड सेल, वयस्क मधुमक्खियां के प्राकृतिक वास में व्यापारी घर ले जाता है।
ये भी पढ़ें:- 125 दिन में तैयार होगी गेहू की ये खास फसल, एक बार दिया तो एटीएम बन जाएगा आपका खेत
ऐसे करें निदान
कृषि विज्ञान केंद्र फ़्लोरिडा कीट रोग प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. नागनगोड़ा पाटिल ने लोकल 18 को बताया कि इस कीट का नाम एकरापिस वुडी बताया जा रहा है। ब्रूड सेल, वयस्क मधुमक्खियां के प्राकृतिक वास में व्यापारी घर ले जाता है। इस रोग से बचाव के लिए हम फार्मिक एसिड से छुटकारा पा सकते हैं। 5ML प्रतिदिन प्रति कॉलोनी 14 दिन तक देते हैं, तो 90 प्रतिशत तक छूट हो जाएगी।
टैग: बिहार समाचार, स्थानीय18
पहले प्रकाशित : 13 अक्टूबर, 2024, 24:02 IST