राजा को बिना नामांकित मंत्री ने छोड़ी ये अनोखी पोखर, स्टार स्टार ही बने रह गए हैरान, अजब-गजब कहानी
पारा:- पिपरा में कई पोखरे हैं, लेकिन आज जिस पोखरे के संबंध में बताए जा रहे हैं, वह काफी पुराना है। राजा महाराजाओं के समय का खुदवाया हुआ ये पोखर देखने में काफी खूबसूरत लगता है। यहां मछली पकड़ने और मछली पकड़ने के लिए दाना दाना बिहार ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग आते हैं। यह पोखरा पोखरा सागर के करिंगा मुसहरी गांव में है, जिस पोखरे को पोखरा दास पोखरा के नाम से जाना जाता है।
इस पोखरे के चारों ओर हरे-भरे कई प्रकार के फलदार उपाय, रंग-बिरंगे फूल की मालाएं बनाई गई हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं। पोखरा के चारों ओर चार दीवारी का भी निर्माण किया गया था, लेकिन अब और भी विध्वंस का भुगतान किया गया है। इसमें बड़ी-बड़ी मछलियाँ हुआ करती थीं। लेकिन एक बार जहर डाल देने से सब मर गये। अब फिर से मछली डाली गई है, जो 50 किलो से ज्यादा की है।
जानिए क्या है पोखरे की पूरी कहानी
लोक 18 से विश्वनाथ राय ने बताया कि राजसी सुंदरियों के समय के गोवर्धन दास के इस पोखरे को खुदवाकर ने काफी पुराना बना दिया था। पोखर तैयार होने के बाद भी गोवर्धन दास का पता नहीं चला। अचानक उनका नौकर उन्हें यहाँ घूमने के लिए ले आया। उन्हें ये पोखरा काफी पसंद आया, उसके बाद गोवर्धन दास ने कहा कि ये किसका है, मैंने इसकी कीमत सबसे ज्यादा लगाई, मुझे ये पोखरा दे दिया जाए। उसके बाद मंत्री ने कहा कि महाराज मैंने यह पोखरा खुदवाया है। इस बात से अभिभूत गोदाम दास का विश्वास नहीं कर रहे थे। लेकिन काफी फिल्मों के बाद उन पर विश्वास हो गया। उनके बाद मंत्री के गोवर्धन दास को इस पोखरे को मिला दिया गया।
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राजा गोवर्धन दास को लेकर दूसरी कहानी
विश्वनाथ राय ने बताया कि इस पोखरे के इतिहास के संबंध में कुछ लोगों ने कहा है कि गोवर्धन दास एक साधु महात्मा थे और शिष्य पर शिष्य बने थे। उन्होंने इस पोखर में मछली भी पाला थी और मछली को नाम से पुकारा जाता था, जिससे किन्नर पर मछली पकड़ी जाती थी। विश्वनाथ राय ने बताया कि आज भी लोग देश के कोने-कोने से यहां घूमने के लिए आते हैं। इस स्थल को पर्यटन स्थल बनाया गया, तो आसपास के लोग यहां की दुकान से पैसा कमा सकते हैं।
पहले प्रकाशित : 12 नवंबर, 2024, 20:20 IST