क्राइम

मुसलमानों की अचल संपत्ति का जुगाड़, डिजिटल निवेशकों के माध्यम से हो रही अचल संपत्ति, मोदी को अचल संपत्ति की सलाह, ऐसे करें आरक्षण

सिरोही. देश में तकनीकी विकास के साथ ही साइबर ठग भी नए-नए पैंतरे लागू कर उत्पाद की मेहनत से कमाई करने में लगे हुए हैं। इन दिनों डिजिटल स्टोर्स कर लोगों को पुलिस, एचडी और सरकारी पुस्तकालयों का डर रिजर्व की जा रही है। डिजिटल अरेस्ट पर पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों से रोजगार की सलाह दी थी। पीएम मोदी ने डिजिटल एरेस्ट स्ट्राम से भागने के लिए लोगों को ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ की सलाह दी थी। आज हम साइबर टेक्निकल वैज्ञानिक सुधांशु शर्मा से जानते हैं कि किस प्रकार के साइबर ठग डिजिटल स्टोर और अन्य माध्यमों से लोगों के साथ जुड़े रहते हैं और इस प्रकार किस प्रकार को बचाया जा सकता है।

सिरोही जिले के स्कूल-कॉलेजों में छात्र साइबर अध्ययन और साइबर से छूटने के लिए जागरूकता का काम कर रहे हैं। साइबर प्रशिक्षु सुधांशु शर्मा वर्तमान में साइबर अध्ययन विषय पर जागरूकता का काम कर रहे हैं। सुधांशु शर्मा ने लोकल-18 को बताया कि जैसे-जैसे तकनीकी विकास हो रहा है, वैसे ही स्कैमर्स भी दो कदम आगे चल रहे हैं। स्कैमर्स ऑफ़लाइन फ़ोन कर हमें अपना शिकार शेयर करते हैं।

ऐसे देते हैं अपराध को अंजाम
डिजिटल स्टोर्स में स्कैमर्स सबसे पहले हमारी पर्सनल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी हैं। हमारा आधार कार्ड, हमारे परिवार के सदस्य और अन्य जानकारी। अगर आपके पास किसी एनालिस्ट नंबर से फोन आ रहा है और आप कहते हैं कि आपके बेटे या आपके परिवार की किसी महिला सदस्य के साथ इस आपराधिक घटना में शामिल है या फिर आपके द्वारा खरीदे गए सामान में शामिल है कुछ आपराधिक वस्तुएं मिली हैं, तो सबसे पहले हमें वे रोकें हैं और अपने फोन में स्क्रीन रिकॉर्डर पर सबूत के सबूत हैं और स्कैमर्स से किसी भी प्रकार की जानकारी साझा नहीं करनी है। कोई भी विभाग पुलिस, ईडी या सुप्रीम कोर्ट भी ऑनलाइन वारंट जारी नहीं करता है। स्कैमर्स अपने आप को पुलिस विभाग से सूचीबद्ध करते हैं और मूर्तियाँ दर्ज करते हैं और बाकी बचे लोगों को अपने शिकार को पकड़ते हैं। कोई भी सरकारी एजेंसी फ़ोन के माध्यम से इस प्रकार की कोई भी सेवा नहीं लेती है। तीसरा काम हमें यह करना है कि भारत सरकार साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in पर इस रिपोर्ट को दर्ज करवानी है और 1930 की घटना की सूचना के साथ आतंकी और स्क्रीन रिकॉर्डिंग के साथ स्थानीय थाने में रिपोर्ट करना चाहिए।

एपीके फ़ाइल से डेटा चोरी हो गया है
इन दिनों वाट्सएप ग्रुप में सरकारी वैधता का नाम लेकर एपीके फाइल जारी की जाती है, जो साइबर यूनाइटेड का कारण बन जाता है। सुधांशु शर्मा ने बताया कि ये एपके फाइल फ्रॉड्स के द्वारा फिशिंग स्पायवेयर या मेलवेयर होते हैं। जैसे ही ये एपीके फ़ाइल हम फोन में स्ट्राइक करते हैं, तो फोन की सारी जानकारी हैकर्स के पास पहुंच जाती है। इसमें हमारे फोन के कॉन्टैक्ट डिटेल, गैलरी, एसएमएस और पर्सनल जानकारी शामिल है। कोई भी ऐप या एपकेक फाइल डाउनलोड कर रहे हैं तो गूगल प्ले स्टोर से ही करें। इन्हें भी एप की समीक्षा और डाउनलोड देखने के बाद फाइल डाउनलोड करनी चाहिए। हमारी सावधानी ही हमारा बचाव है।

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