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भारतीय रेलवे खुशखबरी लोको पायलट ट्रेन गार्ड रेलवे बोर्ड का बड़ा फैसला – भारत हिंदी समाचार

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भारतीय रेल: अगर सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ तो लोको पायलट और गार्ड को अब अपना निजी सामान और आधिकारिक उपकरण लोहे के भारी ट्रंक में नहीं ले जाने पड़ेंगे और वे इसके बजाय ट्रॉली बैग का इस्तेमाल कर सकेंगे। रेलवे बोर्ड ने सभी जोन को लिखे पत्र में उनसे लोको पायलट और गार्ड को ट्रॉली बैग उपलब्ध कराने को कहा है। बोर्ड ने 19 जुलाई को लिखे पत्र में कहा, ”जोनल रेलवे से अनुरोध है कि वे लोको पायलट (ट्रेन चालक) और गार्ड को ट्रॉली बैग उपलब्ध कराने के नीतिगत निर्णय को लागू करना शुरू करें।” रेलवे अधिकारियों के अनुसार, बोर्ड ने 2006 में एक व्यापक निर्देश के साथ इस कदम की शुरुआत की थी। 

एक साल बाद, इसने परीक्षण के आधार पर इसके कार्यान्वयन के लिए ट्रेड यूनियन के साथ चर्चा के बाद एक और दिशानिर्देश जारी किया। हालांकि, लोको पायलट और गार्ड के कड़े विरोध के कारण इसे अगले 11 वर्षों तक लागू करने की प्रक्रिया जारी रही। 2018 में, बोर्ड ने एक बार फिर इस योजना को परीक्षण के लिए दो क्षेत्रों-उत्तर रेलवे और दक्षिण मध्य रेलवे में आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। विभिन्न परीक्षणों से सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद, बोर्ड ने 21 फरवरी, 2022 को एक अंतिम आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया, ”लाइन बॉक्स (लोहे के ट्रंक) के बदले लोको पायलट और गार्ड को ट्रॉली बैग प्रदान किए जा सकते हैं। जोनल रेलवे लोको पायलट और गार्ड द्वारा खुद खरीदे गए ट्रॉली बैग के बदले भत्ता देने का निर्णय ले सकते हैं। भत्ता हर तीन साल के लिए 5000 रुपये तक सीमित होगा।” 

आदेश में संबंधित विभागों को ट्रॉली बैग में उपकरणों को मानकीकृत करने का निर्देश देने के अलावा ट्रॉली बैग का वजन कम करने के लिए रेलवे नियमावली की ‘सॉफ्ट कॉपी’ उपलब्ध कराने को भी कहा गया है। हालांकि, ‘ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल’ और अन्य संबंधित हितधारकों ने इस आदेश को नयी दिल्ली स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ समेत विभिन्न कानूनी मंचों पर चुनौती दी, जिसके कारण रेलवे को इसे स्थगित करना पड़ा। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ”जब भी कोई लोको पायलट या गार्ड (आधिकारिक तौर पर ट्रेन मैनेजर कहा जाता है) ट्रेन ड्यूटी के लिए ‘साइन इन’ करता है, तो वह इंजन/गार्ड कैबिन में 20 किलोग्राम से अधिक वजन का एक लोहे का ट्रंक रखता है, क्योंकि इसमें रेलवे की नियमावली, विभिन्न उपकरण और साथ ही उसका निजी सामान होता है।” 

अधिकारी ने कहा, ”लोहे के भारी ट्रंक को ले जाने के लिए उन्हें एक कुली मुहैया कराया जाता है, जो उस पेटी को उनके संबंधित कैबिन में ले जाता है।” गार्ड यूनियन ने आदेश को मनमाना बताते हुए कहा कि रेलवे ट्रेन प्रबंधकों पर ‘बॉक्स पोर्टर’ या ‘बॉक्स बॉय’ (कुली) की ड्यूटी थोप रहा है। रेलवे बोर्ड ने कैट के समक्ष कुलियों की सेवाएं समाप्त करने के कई लाभों पर जोर दिया। बोर्ड ने कहा कि ‘बॉक्स बॉय’ के अनुबंध समाप्त होने से न केवल आर्थिक बचत होगी, बल्कि इंजन या गार्ड के कोच से भारी बक्सों को उतारने-चढ़ाने के कारण रेलगाड़ियों के रुकने का समय भी बचेगा। 

आठ फरवरी को कैट ने ‘ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल’ को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि वह रेल मंत्रालय के इस आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगा। इसके साथ ही बोर्ड के लिए अपना निर्णय लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। कैट के आदेश के बाद, बोर्ड ने 19 जुलाई को सभी जोन को पत्र जारी कर लोको पायलट और गार्ड को ट्रॉली बैग उपलब्ध कराना शुरू करने को कहा है।

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