the main quality of good book according to writer ashwani sanghvi अच्छी किताब वह होती है, जो पाठक को अंत तक बांधे रखे : अश्विन, लाइफस्टाइल न्यूज़
लेखक अश्विन सांघी ने कई पौराणिक थ्रिलर उपन्यास लिखे हैं। उनका मानना है कि भारत के लोग हमारी संस्कृति और समृद्ध विरासत को भूल चुके हैं। अगर किसी से पूछा जाए कि बोधिधर्म कौन थे? तो, 10 में से नौ कहेंगे कि उन्हें नहीं पता। लेकिन चीन के लोगों को पता है कि वह भारत से आए एक ब्राह्मण राजा थे
अब तक उनके लिखे गए कई पौराणिक थ्रिलर्स ने उन्हें भारत का डैन ब्राउन बना दिया है। और हो भी क्यों न? पौराणिक तत्वों से भरे और वास्तविक जीवन से जुड़े काल्पनिक तत्वों ने अश्विन सांघी की पुस्तकों- ‘चाणक्य के मंत्र’ से लेकर ‘द कृष्णा’ को बेस्टसेलर बनाया है। उनकी अन्य पुस्तक ‘द वॉल्ट ऑफ विष्णु’ हाल ही में आई है, जो भारत सिरीज का हिस्सा है। ‘द वॉल्ट ऑफ विष्णु’ की कहानी एक पल्लव राजकुमार के ईद—गिर्द घूमती है, जो कई शताब्दियों बाद महान युद्धों का कारण बनने वाले रहस्यों को अपने साथ लेकर कंबोडिया जाता है। पुस्तक तीन यात्रियों के बारे में है, जो एक प्राचीन व्यापार मार्ग पर यात्रा को निकलते हैं। पौराणिक कथाएं कहानी कहने का एक रोमांचक जरिया बन सकती हैं और अश्विन की अधिकांश पुस्तकें पौराणिक विषयों पर ही आधारित हैं।
किस चीज ने उन्हें यह नई पुस्तक लिखने के लिए प्रेरित किया। इस पर 51 वर्षीय अश्विन कहते हैं,‘यह मेरी भारत शृंखला की छठी पुस्तक है। सिरीज होते हुए भी इसकी सभी पुस्तकें अपने आप में ही अलग हैं। आप किसी भी किताब को पिछली किताब को पढ़े बिना भी पढ़ सकते हैं। लेकिन जब मैं भारत शब्द का प्रयोग करता हूं, तो अनिवार्य रूप से इसका मतलब है कि मैं केवल भौगोलिक संदर्भ की बात नहीं कर रहा। या कुछ लोगों की बात नहीं कर रहा, बल्कि मैं इसके जरिये विचारों की बात कर रहा हूं। द वॉल्ट ऑफ विष्णु’ मेरी सबसे महत्वाकांक्षी पुस्तक है, क्योंकि यह दो महान सभ्यताओं—भारत और चीन तक फैली हुई है। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि एक अच्छी किताब वह होती है, जिसके पन्ने पलटते वक्त पाठक को आनंद आए। मुझे उम्मीद है कि मैं अपने पाठकों को एक मनोरंजक कहानी देने में सफल रहा।’
अपनी पहली पुस्तक ‘द रोजबल लाइन’ का हवाला देते उन्होंने कहा ,‘इस पुस्तक का अधिकांश भाग मेसोपोटामिया में फर्टाइल क्रीसेंट (उपजाऊ भूमि) और अब्राहम की उत्पत्ति के दौरान की कथा पर आधारित है, लेकिन फिर भी यह भारत श्रृंखला का एक हिस्सा ही था, क्योंकि मेरा मानना है कि यह कई प्रकार से एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। इसी तरह मेरी नई पुस्तक के साथ भी मैंने सोचा था कि दो महान सभ्यताओं, भारत और चीन की समानांतर चीजों को सामने लाया जाए। मजेदार बात यह है कि हम वास्तव में इन दोनों देशों के बीच माल, सेवाओं, धर्मों, विचारों और प्रौद्योगिकी की अधिकता के बारे में बात नहीं करते।’
अश्विन हाल ही में पुस्तक के विमोचन के लिए दिल्ली में थे। भारत को लेकर उनका मानना है, ‘यदि आप किसी से पूछें क्या आप जानते हैं कि बोधिधर्म कौन थे? तो, 10 में से नौ कहेंगे कि उन्हें नहीं पता। लेकिन अगर आप चीन जाते हैं और उस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, तो वहां के लोग जानते हैं कि वह भारत से आए एक ब्राह्मण राजा थे। उन्होंने शाओलिन मठ में अपनी एक खास विधा को तराशने में नौ साल बिताए थे, जिसे बाद में कुंग फू के नाम से जाना जाने लगा! वे उनका सम्मान करते हैं। शाओलिन मठ के प्रांगण में बोधिधर्म की एक मूर्ति है। बहुत सारे अन्य देशों ने हमारी संस्कृति और समृद्ध विरासत को नहीं भुलाया है, लेकिन हम उन्हें भूल चुके हैं। यह बौद्ध धर्म के साथ हुआ है। यह धर्म भारत से चीन तक 70वीं ईस्वी के आसपास गया, और वहां से बाकी दुनिया में चला गया। लेकिन हम इसे भूल गए हैं। इसलिए मेरा विचार लोगों के बीच फिर से इन बातों को वापस लाने के लिए था।’
-ऋषभ सूरी