लाइफस्टाइल

पेशेवर ही नहीं, भावनात्मक चुनौतियों से भी होता है सामना

दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में काम करने वाली महिला अधिकारियों के सामने रोज नई-नई चुनौतियां आती हैं। कभी कोई सोने से बनी चीजों या वन्य उत्पादों की तस्करी करने की कोशिश करता है, तो कोई बातों में भावुकता की चाशनी घोलकर बच निकलने का प्रयास करता है। डिप्टी कमिश्नर डॉ. इंदु भारद्वाज और प्रियंका गुलाटी ने ऐसे ही कुछ अनुभव रुचिका गर्ग के साथ साझा किए-

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि कस्टम एक पुरुष-प्रधान क्षेत्र है। लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे साहस और दृढ़ संकल्प के जरिए हासिल नहीं किया जा सके। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के कस्टम की डिप्टी कमिश्नर डॉ. इंदु भारद्वाज कहती हैं, ‘इस पेशे में हमारे सामने दो तरह की चुनौतियां हैं- व्यक्तिगत और पेशेवर। काम के तौर पर देखा जाए तो यह एक पुरुष-प्रधान दुनिया है और इसका संचालन करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन पहले की तुलना में अब हालात बेहतर हैं। पर इसके बाद भी आप अंतर महसूस कर सकते हैं। मेरा मानना है कि लोगों के लिए कभी-कभी महिला को एक अधिकारी के रूप में स्वीकार करना मनोवैज्ञानिक रूप से कठिन होता है।
इंदु, जिन्होंने बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी की पढ़ाई की है। उनका कहना है, ‘ज्यादातर मामलों में अवैध सामान रखने वाले लोग केवल एक माध्यम होते हैंं। वे आमतौर पर मध्य पूर्व से यात्रा करते हैं, और उनका उपयोग एक वाहक के रूप में किया जाता है। लेकिन हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती मुख्य आरोपी को पकड़ने की होती है। ऐसे समय में तस्कर हमारे सामने भावुक होने की कोशिश करते हैं। उन्हें लगता है महिला अधिकारी है तो वह नरम पड़ जाएगी। रोना-धोना करेंगे, तो छूट जाएंगे। जब भी मैं किसी से सवाल करती हूं, तो वे कहने लगते हैं-अब नहीं करेंगे, छोड़ दीजिये। लेकिन, उनका यह पैंतरा कभी काम नहीं आता।’

बॉर्डर की तरह ही करनी पड़ती है हवाई अड्डे की निगरानी
हवाई अड्डे पर कईर् अधिकारी काम करते हैं और उनमें से हर व्यक्ति को सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए एक-दूसरे के साथ की आवश्यकता होती है। प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एंड कस्टम क्लियरेंस की डिप्टी कमिश्नर, प्रियंका गुलाटी कहती हैं,‘हवाई अड्डा एक संवेदनशील जगह है। यहां हमें  नजर रखनी होती है कि हमारे देश में जिस चीज की अनुमति नहीं है, वह यहां आगे न जा सके। कोई भी तस्करी नहीं होनी चाहिए और कोई भी व्यावसायिक सामान आयात शुल्क के भुगतान के बिना भारत में नहीं आना चाहिए। व्यावसायिक उपयोग के लिए शुल्क का भुगतान करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो यहां का बाजार गड़बड़ा जाएगा। यदि शुल्क का भुगतान नहीं किया जाता है, तो वस्तु को सस्ती कीमत पर बेचा जाएगा। इसका नुकसान यह होगा कि अन्य लोग जो इस चीज को हमारे देश में ही बना रहे हैं, वह इसे अच्छे दाम में नहीं
बेच पाएंगे। इससे आखिरकार बाजार प्रभावित होगा।’ वे बताती हैं, ‘यहां पर सोने से लेकर वन्य जीवन तक की चीजें वर्जित हैं, लोग हर तरह की चीजों को छिपाते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को पकड़ने के लिए एक बेहतरीन तालमेल की अवश्यकता होती है।’
प्रियंका कहती हैं, ‘कोरोनोवायरस के कारण चीन से आने वाली एक उड़ान को अलग करना पड़ा और एक अलग जगह पर ले जाया गया। हमने जल्दी से कस्टम क्लियरेंस का काम करना शुरू किया।’
इन सबमें प्रियंका अपने पति का धन्यवाद करना नहीं भूलतीं। बकौल प्रियंका,‘मेरे पति हमेशा मेरा साथ देते हैं। यह मेरे पति के साथ देने का ही कमाल है कि मैं दिन-रात देश के लिए काम कर पाती हूं।’

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