प्लस साइज फैशन के बारे में कितना जानते हैं आप, जानें क्या है एक्सपर्ट्स की राय
क्या भारत में सचमुच प्लस साइज एक जरूरत है या फिर यह केवल बाजार का एक खेल है? यहां एक्सपर्ट्स बता रहे हैं प्लस साइज फैशन के बारे में, साथ ही यह भी कि आज के समय में साइज से आगे बढ़ कर सोचने की जरूरत क्यों है
लान, इटली के फेंडी फॉल 2020 में प्लस साइज मॉडल्स पलोमा एल्सैसेर और जिल कोर्टलीव, जीजी और बैला हडिड के साथ पहली बार रनवे पर कैटवॉक करती नजर आईं। देखें कि भारतीय फैशन इंडस्ट्री में इस विचार को किस तरह लिया जा रहा है और सैंपल साइज से अलग इस प्लस साइज के मामले में भारत में क्या-क्या दांव लगाए जा रहे हैं।
यूं तो पिछले कुछ वर्षों में प्लस साइज फैशन के बारे में काफी कुछ कहा जाता रहा है, लेकिन देखने की बात यह है कि कितने डिजाइनर्स ने इसे वास्तव में एक्सप्लोर किया? हाफ फुल कर्व लेबल की फैशन डिजाइनर रिक्सी भाटिया कहती हैं, भारत में प्लस साइज फैशन का बहुत विकास नहीं हुआ है। हमने अपना प्लस साइज फैशन लेबल इसीलिए शुरू किया क्योंकि यहां ऐसे लेबल नहीं थे, और डिजाइन सेक्टर और लग्जरी फैशन में कोई भी यह काम नहीं कर रहा था। हमने रीयल बॉडी टाइप्स पर काम किया और इसे बॉडी पॉजिटिव फैशन लेबल बनाया, यही वक्त की जरूरत है।
वह कहती हैं, आज प्लस साइज फैशन के बारे में पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बात की जाने लगी है, साथ ही लोग स्वीकारने लगे हैं कि भारत में जितने फैशन बॉडी टाइप्स हैं, उनसे कहीं ज्यादा रीयल बॉडी टाइप्स हैं। फिर भी इन रीयल लोगों के लिए परिधान तैयार करना और उन्हें मार्केट में लाना….मुझे लगता है, ऐसे बहुत कम लोग हैं, जो यह काम कर रहे हैं। लोग कर्वी फैशन के बारे में बात तो करते हैं लेकिन इसे वास्तविक कलेक्शन के रूप में लाना वाकई मुश्किल होता है। इसमें बहुत सारा निवेश और समय लगाना पड़ता है, और बिजनेस के लिहाज से यह काम हर कोई नहीं कर सकता।
एड रेजक के एक वक्तव्य, ‘द शो इज ए फैंटेसी’ की खूब आलोचना हुई। रजेक एल ब्रांड की पेरेंट कंपनी विक्टोरियाज सीक्रेट के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर थे। रिपोट्र्स के अनुसार, साल 2018 में शो की कास्टिंग पर रेजक को अपने ट्रांस और फैट फोबिक कमेंट्स को लेकर कई तरह की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2019 में ब्रांड ने एक अन्य लॉन्जरी ब्रांड ब्लूबैला के साथ हाथ मिलाया, और कहा कि उनके लॉन्जरी कैंपेन में प्लस साइज मॉडल भी होगी।
हाल ही में विक्टोरियाज सीक्रेट से जुड़ने वाली भारत की पहली ट्रांस प्लस साइज सुपरमॉडल मोना वेरोनिका कैंपबैल कहती हैं कि प्लस साइज या ट्रांस मॉडल फैंटेसी नहीं बेच सकती…जैसे स्टेटमेंट ने ब्रांड को बुरी तरह प्रभावित किया। इसी की भरपायी करने के लिए उन्होंने प्लस साइज के लिए लॉन्जरी लाइन तैयार की।
शिक्षित करने की जरूरत-
फैशन इंडस्ट्री रनवे और रिटेल प्लस साइज परिधानों पर ध्यान दे, इसके साथ यह भी जरूरी है कि लोगों को इसके प्रति संवेदनशील बनाया जाए और एजुकेशन सिस्टम में ऐसा माहौल तैयार किया जाए कि लोग प्लस साइज को लेकर अपनी सोच बदल सकें। वैभवी पी. की मुख्य डिजाइनर और फाउंडर वैभवी पी. कहती हैं, ‘एक अच्छे डिजाइन की परिभाषा यही है कि वह उपभोक्ता की जरूरत के अनुरूप हो और हर किसी के प्रति संवेदनशील हो, साथ ही यह बताया जाना भी जरूरी है कि एक ही साइज हर किसी पर फिट नहीं हो सकता। इन्क्लूसिव फैशन का अर्थ है कि यह हर बॉडी टाइप और शेप के लिए हो, न कि केवल उनके लिए, जिन्हें आदर्श रूप से दुबले-पतले या लंबे फैशन मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।’
कॉलेज में डिजाइनिंग सिखाई जाती है, उसमें प्लस साइज फैशन के लिहाज से वैभवी कुछ खास टिप्स भी देती हैं,
1. रेगुलर साइज से इतर भी प्रोजेक्ट डिजाइनिंग के बारे में सोचा जाना चाहिए, जिसमें अलग-अलग बॉडी टाइप और साइज के रीयल लोग आते हैं।
2. कंज्यूमर का नजरिया पैदा करें। जिस तरह शारीरिक माप या साइजेज बदल रहे हैं, उन पर ध्यान दें। उन्हें अपने डिजाइन प्रोसेस का हिस्सा बनाएं।
3. फैब्रिक, प्रिंट्स, एंबैलिशमेंट, सिलुएट्स, कलर्स, फिटिंग जैसी चीजों को सही ढंग से समझें, जो अब कहीं ज्यादा संतुलित तरीके से आ रही हैं।
4. पैटर्न ग्रेडिंग, क्रिएटिव पैटर्न मेकिंग और ड्रेपिंग की समझदारी जरूरी है। इससे किसी आउटफिट को बड़ा या छोटा करने के अलावा भी कुछ नए स्टाइल ऑप्शंस तैयार करने में मदद मिलेगी।
इस चलन की कहानी-
एक बड़े ऑनलाइन फैशन स्टोर ने हाल ही में प्लस साइज क्लोद लाइन लॉन्च की, जिसमें उन्होंने अपने लक्ष्य को कुछ इस तरह लिखा है-हर किसी के लिए फैशन परिधान तैयार करना, भले ही वह किसी भी साइज का क्यों न हो। इस ऑनलाइन फैशन प्लेटफॉर्म के मयंक शिवम कहते हैं, ‘लोगों की खरीदारी की आदतें बदल रही हैं और ई-कॉमर्स ने लोगों के लिए शॉपिंग को बेहद आसान बना दिया है, जहां वे सिर्फ एक क्लिक से शॉपिंग कर सकते हैं, भले ही वे कहीं हों या वह स्टोर कहीं हो। हमने प्लस साइज के लिए समर्पित ऑनलाइन स्टोर बनाया, जहां 45 से भी ज्यादा ब्रांड्स मौजूद हैं, खासतौर पर प्लस साइज तैयार करने वाले ब्रांड्स जैसे एएलएल, प्लस आदि। इसके अलावा कुछ अन्य लोकप्रिय ब्रांड्स भी हैं।’
इन्क्लूसिव होना महत्वपूर्ण है, लेकिन केवल जागरूकता से ही कुछ हासिल नहीं होने वाला। इसके आर्थिक पक्ष को लेकर शेड्स ऑफ इंडिया की मनदीप नागी कहती हैं कि फैशन बहुत पर्सनल चीज है। हालांकि उन ब्रांड्स के लिए इसका कोई आर्थिक महत्व नहीं है, जो खास साइज के लिए ही स्टाइल्स तैयार करते हैं। वह कहती हैं, यह उभरता हुआ बाजार है, जिसमें ई-कॉमर्स का बोलबाला है, ऐसे में वक्त की जरूरत है कि थोड़ा और इन्क्लूसिव हुआ जाए।
नागी फिर कहती हैं, ‘अगर आप अपने पैशन के लिए काम कर रहे हैं और अपने विचारों में ईमानदार हैं तो फिर आर्थिक लाभ भी अवश्य होता है।’
विशेष सुझाव-
केवल इसलिए कि स्टाइल एंटी-फिट है, इसे प्लस साइज फैशन नहीं समझा जा सकता। भाटिया कहती हैं, आज कई डिजाइनर्स एंटी फिट या लूज क्लोदिंग के लिए काम कर रहे हैं। एक प्लस साइज व्यक्ति भी इनमें फिट हो सकता है लेकिन यह सब उनके बॉडी टाइप के हिसाब से तैयार नहीं किया गया है, बल्कि इसे सिर्फ स्मॉल साइज के लिए एक ढीला-ढाला परिधान कहा जा सकता है। भाटिया प्लस साइज क्लोदिंग के लिए दिलचस्प तथ्य बताती हैं-
-लोगों को प्लस साइज क्लोदिंग के लिए एक्स्ट्रा चार्ज लेने से बचना चाहिए।
-सोशल मीडिया पर बॉडी शेमिंग को तुरंत रोका जाना चाहिए और साथ ही लोगों को अपनी फोटो को फोटोशॉप करके भी नहीं इस्तेमाल करना चाहिए।
-हमें कुछ कर्वी साइजेज लेकर आने चाहिए। प्लस साइज वालों को ऐसे नहीं देखना चाहिए (जैसा अकसर किया जाता है) कि चूंकि तुम मोटे या कर्वी हो, तुम कुछ खास स्टाइल्स कैरी नहीं कर सकते।
अक्षता शेट्टी