रिश्तों में आर्थिक मसलों को प्रभावित करता है अतिवाद
अलग-अलग लोग रोमांटिक संबंधों को लेकर अलग- अलग नजरिया रखते हैं और यह नजरिया उनके वित्तीय मसलों को प्रभावित करता है। एक अध्ययन के नतीजों में यह दावा किया गया है रिजोना यूनिवर्सिटी की अगुआई में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि रूमानी रिश्तों को लेकर अलग-अलग लोगों का अलग-अलग नजरिया होता है। इस नजरिये से उनके आर्थिक समीकरणों पर भी प्रभाव पड़ता है।
इस मसले में एक सिरे पर वे लोग हैं, जो हर वक्त अपने साथी के करीब रहना चाहते हैं तो दूसरे छोर पर वे लोग हैं, जो अपनी आजादी को इतना ज्यादा महत्व देते हैं कि वे अपने साथी के एक सीमा से ज्यादा करीब आने से बचते हैं। इन चरम सीमाओं को लगावजनित चिंता (अटैचमेंट एंग्जाइटी), लगाव से बचाव (अटैचमेंट एवॉइडेंस) कहा जाता है।
अगर सतर्क न रहा जाए, तो इनसान की जिंदगी इनके नकारात्मक परिणामों से प्रभावित हो सकती है। मुख्य रूप से लोगों की जिंदगी के आर्थिक पहलू।
इस शोध में कॉलेज से शिक्षा प्राप्त 635 वयस्कों से बातचीत की गई। इस बातचीत के आधार पर जुटाए गई जानकारियों में पाया गया कि हर वक्त साथी के करीब रहने वाले और हमेशा साथी के करीब रहने से बचने वाले लोगों की जिंदगी में आर्थिक संतुष्टि बहुत कम होती है। इस शोध में पाया गया कि इन दोनों ही श्रेणियों के लोगों का आर्थिक व्यवहार गैर-जिम्मेदार होता है। साथ ही, ऐसे लोग अकसर अपने साथी के आर्थिक फैसलों को गैर-जिम्मेदार ठहराते हैं। इस शोध के मुख्य शोधार्थी शाओमिन ली बताते हैं, ‘इस अध्ययन में पाया गया है कि रूमानी लगाव के स्तर से आर्थिक व्यवहार प्रभावित होता है। साथ ही लोगों का अपने साथी के प्रति नजरिया बदलता है।’
ली को उम्मीद है कि आने वाले समय में इस बात पर भी शोध किए जाएंगे कि गैर-आर्थिक मसले, जैसे लगाव की प्रवृत्ति किस तरह आर्थिक व्यवहार और लोगों के नजरिये को प्रभावित करती है। किस तरह यह लोगों की जिंदगी पर असर डालती है।
इस अध्ययन में पाया गया है कि रूमानी लगाव के स्तर से आर्थिक व्यवहार प्रभावित होता है। मुझे उम्मीद है कि इस बात पर भी शोध किए जाएंगे कि गैर-आर्थिक मसले किस तरह आर्थिक व्यवहार को प्रभावित
करते हैं।