सुप्रीम कोर्ट समाचार: वकीलों के लिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब इस पर विचार नहीं होगा फ़ेक्स
अधिवक्ता नामांकन शुल्क: वकीलों के नामांकन पर सर्वोच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बार काउंसिल को बताया कि वह वकीलों के नामांकन के लिए तय फीस से पैसा नहीं ले सकता। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने क्लिनिकल व्याख्यान में कहा कि संसद ने नामांकन शुल्क तय कर रखा है, इसलिए बार काउंसिल इसका उल्लंघन नहीं कर सकती। कोर्ट ने धारा 24(1)(एफ) का हवाला देते हुए कहा कि यह एक राजकोषीय विनियमन प्रक्रिया है जिसका पालन किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य बार काउंसिल के लिए अधिवक्ता नामांकन अधिनियम में दिए गए प्रोविजन से अधिक की राशि नहीं ली जा सकती। बता दें कि एडवोकेट्स एक्ट की धारा 24 में एडवोकेट एनरोलमेंट के लिए 750 रुपये और एसटी एससी के लिए 125 रुपये शुल्क तय किया गया है, लेकिन आरोप है कि हर स्टूडेंट की बार काउंसिलिंग के लिए 15 रुपये दिए गए हैं। से 45 हजार तक फ़ेस ले रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई दिवाई चंद्रचूड़ की ओर से दिए गए फैसले में कहा गया है कि नामांकन के लिए पूर्व शर्त के रूप में अत्यधिक शुल्क वसूली, विशेष रूप से संबंधित लोगों के लिए, उनके शेयरधारकों को आगे बढ़ाना में बाधाएँ पैदा होती हैं. ऐसे में स्टूडेंटों के पास कोई विकल नोट नहीं बचता, इसलिए स्टूडेंट बार काउंसिल की ओर से जबरदस्ती की जाती है।
किस मामले पर हो रही थी सुनवाई
इस संबंध में दायर की गई याचिकाओं में बार काउंसिल की ओर से अलग-अलग नामांकन शुल्लाक के मामले की सुनवाई की जा रही थी, इसे चुनौती दी गई थी। गया था. इस मामले की सुनवाई सीजेई दिवा चंद्रचूड़ की अवतरण वाली बेंच कर रही थी। इस बेंच में जस्टिस जेबी पारडीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे। बता दें कि इस मुख्य याचिका का शीर्षक गौरव कुमार बनाम भारत संघ है।
पहले प्रकाशित : 30 जुलाई, 2024, 15:26 IST