यूपीएससी सफलता की कहानी आईपीएस बजरंग यादव की सफलता की कहानी तीसरा प्रयास
कई बार इरादों को हौसला हादसों से मिलता है. कुछ ऐसी ही कहानी बजरंग की भी है, जिन्होंने कुछ दबंगों की बेरहमी के चलते अपने पिता को खो दिया. पिता की चिता पर उन्होंने कसम खाई कि उनके कातिलों को सजा जरूर दिलाएंगे और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. धीरे-धीरे वक्त गुजरा और बजरंग की मेहनत रंग लाई. उन्होंने न सिर्फ यूपीएससी क्लियर किया, बल्कि आईपीएस अफसर भी बने. आइए आपको बताते हैं लहू से सनी बजरंग की सफलता की कहानी.
बजरंग यादव उत्तर प्रदेश के बस्ती के गांव धोबहट के निवासी हैं. उनके पिता किसान थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई बस्ती के बहादुरपुर से हुई है. वर्ष 2014 में 10वीं क्लास पास की और साल 2016 में 12वीं क्लास पास कर ली. बजरंग ने प्रयागराज विश्वविद्यालय से मैथ्स से मास्टर्स की. जिसमें उन्होंने टॉप भी किया. फिर वह यहां से दिल्ली चले गए और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.
पिता की कर दी गई हत्या
बताते चलें की बजरंग के पिता हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा अधिकारी बने. उनके इसी सपने के चलते बजरंग ने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी. वर्ष 2019 एग्जाम की तैयारी के लिए साल दिल्ली चले गए. जब वह अपना पहला प्रयास देने जा रहे थे तभी उनके पिता की हत्या कर दी गई. जिसके बाद बजरंग बुरी तरह से टूट गए. बजरंग पिता की मौत के सदमे से बाहर नहीं आ पा रहे थे. लेकिन उनके परिजनों उनको हौसला दिया. इसके बाद उन्होंने परीक्षा की तैयारी एक बार फिर से शुरू कर दी.
454वीं रैंक हासिल की
बजरंग के इरादे इतने बुलंद थे कि वह तीसरे प्रयास में सिविल सेवा एग्जाम में सफल हो गए. उन्होंने परीक्षा में 454वीं रैंक प्राप्त की. बजरंग यादव बताते हैं कि उनका इंटरव्यू लगभग आधे घंटे तक चला था. जिसमें उनसे एक सवाल के रूप में छुट्टा पशुओं की समस्या पर सवाल पूछा गया था. पिता की हत्या के बाद भी बजरंग उनके सपने को पूरा करने का निश्चय लिया और विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की.
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