मध्यप्रदेश

जिस नदी के तट पर रुकना मुश्किल है, वहां हजारों साल से जस का तस खड़ा है यह शिव मंदिर

आकाश निषाद/जबलपुर: देश में ऐसे-ऐसे रहस्यमयी मंदिर हैं प्रोटोकाल गुत्थी आज तक विज्ञान भी स्थापित नहीं कर पाया है। साल 2013 में उत्तराखंड में हुई तबाही से पूरा उत्सव तहस-नहस हो गया, लेकिन वो सुनामी में भी केदार नाथ मंदिर का कुछ नहीं पता चला। नतीजे ने इसका कारण पता लगाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन कोई ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच सका। ऐसा ही एक मंदिर जापानी में भी है। खारी घाट में नर्मदा नदी के किनारे बना पंचक्षत्र भोलेनाथ का मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। यह मंदिर हर साल लगभग चार महीने पानी में डूबा रहता है और उसके बाद भी इसे कोई नुकसान नहीं होता है।

चारों दिशाओं से होते हैं भोलेनाथ के दर्शन
बताया जाता है कि मंदिर को बनाने में जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें कहीं भी देखने और देखने को नहीं मिलता। खास बात यह है कि इस मंदिर को दिशा-निर्देश से देखने पर हर बात से भोलेनाथ के दर्शन होते हैं। मंदिर में भोलेनाथ की प्राचीन मूर्ति है और उनके साथ उनका पूरा परिवार भी है। मंदिरों में कार्तिकेय, गणेश, पार्वती और भोलेनाथ का वाहन नंदी है। ये सभी मूर्तियां करीब 1.5 हजार साल पुरानी हैं।

नर्मदा के किनारे बना यह मंदिर 4 महीने तक पानी के अंदर ही डूबा रहता है। मान्यता है कि बरसात के दिनों में नर्मदा नदी में भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है। इस कारण से इस श्लोक का महत्व और भी बढ़ जाता है। कहते हैं कि जिस घाट पर यह मंदिर है, वहां खारी विसर्जित होती है, इसलिए इसे खारी घाट बोला जाता है। इसे सबसे पुराने घाटों में से एक माना जाता है।

तेज बहाव में भी रुका है मंदिर
बारिश के दिनों में यहां जब भी बरगी में स्थित बांध के गेट खुले होते हैं तब तक नॉर्माल का जल स्तर काफी बढ़ जाता है, जिससे यह मंदिर कई दिनों तक नॉर्मला में जलमग्न रहता है। यहां भगवान शंकर का बिना मंदिर का स्तंभ बना हुआ है जिसे बाद में नदी के अंदर रेतीले बेस पर बनाया गया है। नदी के समुद्र तट पर जब लोगों का खड़ा होना मुश्किल होता है, ऐसे में यह मंदिर बिना हिले डुले बड़े तेज बहाव में भी रुक जाता है। यह भगवान शंकर की शक्ति मानी जाती है।

इस मंदिर की नमाज़ों की सम्पूर्णता के मानक
नॉम्ल्ड की पूरी प्रतिष्ठा करने में 3 साल 3 महीने और 13 दिन लग गए हैं, लेकिन इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो भी नॉर्मल्ड के इस मंदिर की एक बार की प्रतिष्ठा करते हैं उन्हें नॉम्ल्ड की पूरी प्रतिष्ठा के समान फल मिलते हैं।

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