महाराष्ट्र

एकनाथ शिंदे सरकार के बजट पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, कहा- कोर्ट को वारंट में मत लो

सुप्रीम कोर्ट समाचार: सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर निर्माण के निर्माण और प्रभावित निजी पक्ष को नुकसान पहुंचाने के मामले में जवाब देने के लिए रविवार को महाराष्ट्र सरकार को झटका नहीं दिया। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार के पास ‘लाडली बहना’ और ‘लड़का भाऊ’ को मुफ्त किताबों की सूची के तहत मान्यता दी गई है, लेकिन जमीन के नुकसान की भरपाई के लिए धन नहीं है।

रॉबर्ट बी आर गवई ने कहा कि अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो मुख्य सचिव को कोर्ट में पेश किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र में वन भूमि पर निर्माण से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा था।

एक निजी पक्ष ने शीर्ष अदालत से उस भूमि पर कब्ज़ा करने में सफलता प्राप्त कर ली है, जिस पर राज्य सरकार ने ‘अवैध रूप से कब्ज़ा’ कर लिया था। महाराष्ट्र सरकार ने दावा किया है कि उक्त भूमि पर आयुध अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान संस्थान (रेडाई) का कब्जा था, जो केंद्र के रक्षा विभाग की एक इकाई थी। सरकार ने कहा कि बाद में एड्रेई के व्यवसाय वाली जमीन के बदले निजी पक्ष को दूसरी जमीन पर प्लॉट दे दिया गया। हालाँकि, बाद में पता चला कि वन भूमि पर निजी स्वामित्व का कब्जा कर लिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को झटका देते हुए कहा, ‘इस जुलाई के हमारे आदेश के अनुसार, हमने आपको (राज्य सरकार को) आधी नाम वाली जमीन के स्वामित्व पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। अगर आप अपनी जवाब शर्त नहीं रखेंगे तो हम आपके मुख्य सचिव अगली बार यहां शामिल होंगे… आपके पास ‘लाडली बहना’ और ‘लड़का भाऊ’ के ​​लिए मुफ्त सामान के पैसे हैं, लेकिन जमीन के नुकसान ‘की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं हैं।’

बार एंड बेंच के अनुसार, जस्टिस गवई ने कहा, ‘इस कोर्ट को आपके साथ मत रहना। आप अदालत के हर आदेश को ऐसे आरोपियों में नहीं ले सकते। आपके पास लाडली बहु (योजनाएं) जैसे नी के लिए पर्याप्त पैसे हैं। सारा धान फ्रीबीज पर खर्च किया गया। आपको पैसे की जमीन का कंकाल मिला था।’

(एजेंसी एंटरप्राइज़ के साथ)

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