उत्तर प्रदेश

रेशम के मोती की बनी हुई राखियां पहनेंगे अयोध्या के बच्चे राम, 56 भोग के साथ पहनेंगी कलाईयां, जानें जगहें

वाह: पूरे देश में रक्षाबंधन की धूम है, हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। यह दिन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है और भाई उसे राखी के बदले बहन की रक्षा का वचन देता है। वहीं, अयोध्या के बालक राम के लिए भी पूरे देश में अलग-अलग माध्यम से राखियां भेजी जा रही हैं। इसी कड़ी में आज अयोध्या के श्रृंगी ऋषि आश्रम से प्रभु राम के लिए राखी आई है और यह राखी बाल राम के चारों सहयोगियों सहित उनके शिष्यों के लिए भी आई है।

जानिए कितने दिनों में राखी हुई तैयारी
इस राखी का निर्माण श्रृंगी ऋषि आश्रम के आसपास रहने वाली महिलाओं ने तैयार किया है। इस राखी को लगभग 20 दिन में तैयार किया गया है। राखी की खास बात यह है कि यह राखी रेशम के धागों से बनाई गई है। इसके साथ ही इसके ऊपर मोती भी लगाया गया है। इतनी ही नहीं राखी के साथ-साथ प्रभु राम के लिए 56 कालों का भोग और बांसुरी भी आई है, जिसे रक्षाबंधन के जादू पर बालक राम को भी धारण करना होगा।

जानिए कौन हैं प्रभु राम की बहन
इतना ही नहीं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रभु राम की बहन शांता थीं और श्रृंगी ऋषि आश्रम में शांता का मंदिर है। त्रेता युग में जिस तरह प्रभु राम की बहन शांता ने अपने उद्योगपति को राखी बांधा था। आज जब भव्य मंदिर में बाल राम स्थापित हो गए हैं, तो शांता के मंदिर से बालक राम सहित तीर्थयात्रियों के लिए राम मंदिर के मुख्य पुजारी पुजारी दास को समर्पित किया गया है।

राम मंदिर के मुख्य पुजारी बोले
राम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत दास ने बताया कि श्रृंगी ऋषि आश्रम से आज आपके श्री आश्रम के लिए राख आई है। इसमें 56 कालों का भोग, इसके अलावा आभूषण और बांसुरी शामिल हैं। कल शुभ उत्सव में बाल राम सहित चार कारीगरों को राखी बांधेगी। इसके साथ ही साधारण साज-सजावट। साथ ही 56 व्यंजनों का उपयोग। यहां श्रृंगी ऋषि आश्रम में शांता का मंदिर भी है और शांता प्रभु राम की बहन भी थीं, उस गांव के शिष्य अनुयाई और गांव के लोग भी हैं। आज प्रभु राम के लिए राखी लेकर आये हैं। उन्होंने सभी प्रभु राम को रक्षाबंधन पर्व पर समर्पित किया।

श्रृंगी ऋषि आश्रम के पुजारी ने बताया
श्रृंगी ऋषि आश्रम के पुजारी राम प्रिय दास ने बताया कि रक्षा बंधन में भारतीय परंपरा का एक अनोखा त्योहार है, जो अपने भाई की कलाईयां बांधते हैं, हम लोग भी श्रृंगी ऋषि आश्रम में जो शांता माता हैं। वह उनका मंदिर है. वहां से हम लोग प्रभु राम के लिए रक्षा बंधन लेकर आए हैं, जिसमें प्रभु राम के चारों मित्र राष्ट्र हैं। मॅल के साथ ही 56 कालों का भोग है। इतनी ही नहीं इस राखी में एक बड़े रामलला के लिए और चार कारीगरों के दोस्तों के लिए भी राखी आई है। खास बात यह है कि रेशम के धागों से बनी यह राखी महिलाओं ने अपने हाथों से तैयार की है। यह रेकी दुकान से कोई सुविधा नहीं दी गई है। इसके अलावा फल के अलावा मीठे के साथ बांसुरी भी लाई गई है, जिसे भगवान ने समर्पित कर दिया है।

राखी का निर्माण करने वाली अंजलि ने बताया
राखी का निर्माण करने वाली अंजलि सिंह ने बताया कि हम लोग अपने भाई के लिए राखी लेकर आए हैं, प्रभु राम को अपना भाई मानते हैं। इस राखी का निर्माण हम लोगों ने अपने हाथों से किया है। सावन माह शुरू होते ही रेशम के धागों से राखी का निर्माण शुरू हो गया था। आज बहुत अच्छा लग रहा है, इतनी ही नहीं इस राखी को मोतियों से उतारा गया है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला पर्व है, जब हम लोग रक्षा बंधन लेकर आये हैं, आज उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है।

टैग: अयोध्या समाचार, लोकल18, रक्षाबंधन

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