IAS कोचिंग श्रीराम के IAS पर भ्रामक विज्ञापन के लिए CCPA ने लगाया 3 लाख रुपये का जुर्माना, जानें पूरा मामला
सीसीपीए ने आईएएस कोचिंग पर जुर्माना लगाया: गलत और भ्रामक विज्ञापन देने के कारण सीसीपीए ने आईएएस कोचिंग पर जुर्माना ठोका है. ये फाइनल श्रीराम आईएएस कोचिंग सेंटर पर लगा है और इसके लिए कोंचिंग इंस्टीट्यूट को 3 लाख का फाइनल भरना होगा. सिविल सेवा के लिए कैंडिडेट्स को तैयारी में मदद करने वाली इस कोचिंग पर सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने पेनल्टी लगाई है. सीसीपीए का कहना है कि इन्होंने अपने विज्ञापन में बढ़ा-चढ़ाकर क्लेम किए हैं जोकि भ्रामक हैं और कैंडिडेट्स को बरगलाने वाले हैं.
क्या लिखा है विज्ञापन में
श्रीराम आईएएस कोचिंग ने अपने विज्ञापन में ऐसा क्या लिख दिया कि सीसीपीए को सख्त कार्यवाही करनी पड़ी, जानते हैं. इनके ऐड में दो बातें लिखी हैं, पहली – ‘यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम 2022 में 200 प्लस चयन,’ दूसरी – ‘हम भारत के नंबर 1 प्रतिष्ठित यूपीएससी/आईएएस कोचिंग संस्थान हैं’.
सीसीपीए का कहना है कि संस्थान ने कंज्यूरम प्रोटेक्शन एक्ट 2019 का उल्लंघन किया है. सीसीपीए की चीफ कमिशनर निधि खरे जोकि यूनियन कंज्यूमर अफेयर्स की सेक्रेटरी भी हैं और कमिशनर अनुपम मिश्रा ने कोचिंग इंस्टीट्यूट पर पेनल्टी लगाई है.
जारी हो चुकी है गाइडलाइन
बता दें कि जनवरी महीने में सीसीपीए कॉमर्शियल कोचिंग संस्थानों के लिए गाइडलाइन निकाल चुका है. इसमें कुछ नियमों का जिक्र किया गया है, जिसका ध्यान सभी को रखना है. इस संस्थान ने गाइडलाइन में दिए नियमों का पालन नहीं किया है.
इन गाइडलाइंस के तहत संस्थान ऐसे गारंटीड क्लेम नहीं कर सकते जैसे, प्रीलिम्स में चयन पक्का, गारंटीड रैंक, गारंटीड स्कोर आदि. कुल मिलाकर संस्थान कोई भी ऐसा क्लेम नहीं कर सकता जिसकी गारंटी न हो.
बढ़ रहे हैं सिविल सेवा के कैंडिडेट
इंजीनियरिंग और मेडिकल के बाद अब सिविल सेवा की फील्ड में भी कैंडिडेट्स की संख्या बढ़ रही है. हर साल बड़ी संख्या में उम्मीदवार आईएएस या दूसरी सिविल सेवा परीक्षाओं में सफल होने के लिए कोचिंग संस्थान ज्वॉइन करते हैं. यहां सक्सेज रेट बहुत कम है और कांपटीशन तगड़ा. ऐसे में कोचिंग संस्थान स्टूडेंट्स को लुभाने के लिए तमाम तरह के विज्ञापन निकालते रहते हैं.
लाखों में होती है फीस
इनकी फीस लाखों में होती है और सेलेक्शन की कोई गारंटी नहीं. ये गारंटी कोई संस्थान दे भी नहीं सकता क्योंकि नंबर ऑफ सीट्स की तुलना में परीक्षा देने वाला कैंडिडेट्स की संख्या बहुत अधिक होती है. इस सच से वाकिफ होने के बावजूद कोचिंग संस्थान कैंडिडेट्स को गलत विज्ञापन दिखाकर बहकाते हैं और जो चीजें उन्हें बतानी चाहिए, उन्हें छिपाकर केवल वे ही फैक्ट्स बताते हैं जो उन्हें एडमिशन लेने के लिए आकर्षित कर सकें.
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