अगर आतंकी मुद्दे पर युवा सीमा पर हमले छोड़ें तो… टीएमसी नेता का हमलावर से सवाल
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और उसकी हत्या के विरोध में विश्वनाथ के डॉक्टर पर हमला कर रहे हैं। इस तरह की संस्था के सरकारी ढांचे में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है और रोगी दर-दर भटकने को मजबूर हैं। विशेष में चिंताग्रस्त और रोगग्रस्त लोगों की चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं है। इस बीच, पश्चिम बंगाल की विशेष पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस (टीएमसी) के एक वरिष्ठ नेता ने मांग की है कि अगर 2019 में आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षा कार्रवाई की जाए तो आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी। उत्तर दीजिएगा।
यूथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यूक्रेनी घोष ने एक पोस्ट में लिखा, “मेरा एक सवाल है। पुलवामा मामले में कोई न्याय नहीं हुआ। इसलिए, अगर युवाओं को भी खतरा है तो हमें माफ करें।” ‘न्यायपालिका’ की हड़ताल शुरू होती है, तो आप इसे कैसे देखते हैं?
पुलवामा में क्या हुआ था?
बता दें कि 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमलों में रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे, जब आतंकियों से लाडा एक वाहन सुरक्षा दल को ले जा रहा था, दुश्मनों के हथियारों से लैस था। ।। इस हमले के दो सप्ताह के भीतर भारतीय जेट विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादियों पर हवाई हमला किया था और जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर को बहाल किया था।
इस बीच, सैकड़ों आंदोलनकारी प्रोफेशनल्स, जूनियर रजिस्ट्रार्स और सीनियर रेजिडेंट्स वकीलों ने रविवार को कोलकाता में सीबीआई से लेकर स्वास्थ्य विभाग के सचिवालय तक रैली निकाली। इस रैली के दौरान नवगठित पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टर्स फ़ोर्स ने ‘हमें न्याय चाहिए’ और ‘सुरक्षा नहीं, तो कर्तव्य नहीं’ कहा। जैसे कि नारे। इस प्रदर्शन में 31 चिकित्सा प्रभावितों के डॉक्टर और छात्रों ने भाग लिया। बंगाल में लगातार तीन दिन से डॉक्टर काम नहीं कर रहे हैं।
अविश्वास पर ममता सरकार
ऐसे समय में जब ममता बनर्जी की अगुआई वाली राज्य सरकार जघन्य अपराध से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के तरीकों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है। पिछले दिनों कोलकाता उच्च न्यायालय ने कोलकाता कांड के रहस्योद्घाटन को देखा और इसकी जांच का मूल्यांकन किया। कोर्ट ने अपने आदेश में सख्त टिप्पणी की है कि इस मामले में कोलकाता पुलिस ने कोई खास प्रगति नहीं की है।
कोलकाता से दिल्ली तक हड़ताल
कोलकाता कांड के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी रेजिडेंट डॉक्टर पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर हैं। अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल के 10वें दिन रविवार को हड़ताली वकीलों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान एक स्थिर डॉक्टर ने कहा, ”यह स्टैक बहुत जरूरी है कि हम अपने साथियों पर बेहतर कार्य के लिए आवेदन कर रहे हैं।” इन प्रदर्शनों के कारण शहर के कई सरकारी उद्यमों में वैकल्पिक सेवाएं जारी हैं। इस दौरान ‘दोषियों को सजा दो’ और ‘शॉक नहीं, जबरदस्ती है ये झटका जरूरी है’ जैसे नारे लगाते रहे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), जीटीबी, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, मेडिकल आजाद मेडिकल कॉलेज और इससे जुड़े सहयोगियों ने मौन में प्रदर्शन के लिए अलग-अलग बयान जारी किए हैं। दिल्ली के प्रमुख संकाय के सदस्य ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (आरडीए) के सदस्य, ‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (फोरडा) और ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन’ (एफएआईएमई) के साथ मिलकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। (भाषा इंजीनियरिंग के साथ)