डॉक्टर के माता-पिता ने रात 3 बजे ही दिया था हत्या का शक, एफआईआर दर्ज करने में 9 घंटे लग गए; SC ने ममता सरकार को झटका दिया
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के दर्शन हॉल में 9 अगस्त को पोस्ट ग्रेजुएट रेजिडेंट डॉक्टर का शव मिला था। डॉक्टर के साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। डॉक्टर के माता-पिता ने उस दिन दोपहर 3 बजे के आसपास पहली बार हत्या की आपदा की आशंका जताई थी। हालांकि, पुलिस ने दस्तावेज दर्ज करने में काफी देरी कर दी। रात 11.45 बजे तक मामला दर्ज नहीं हुआ। उनके परिवार का अंतिम संस्कार रात करीब 8.30 बजे किया गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से पता चला है कि असिस्टेंट प्रोफेसर सुमित कुमार तापदार ने सुबह 9.45 बजे पुलिस को दीक्षा कक्ष में शव बैठक की सूचना दी और उनसे डॉक्युमेंट्री एंट्री करने का आग्रह किया। हालांकि, पुलिस को अस्पताल अधिकारियों से दोपहर 2.45 बजे आधिकारिक तौर पर लिखित शिकायत मिली थी।
पुलिस की टाइमलाइन से पता चला कि उन्हें सुबह 10.10 बजे मौत की सूचना मिली और वे 10.30 बजे राजधानी में पहुंचे। कोलकाता पुलिस का दस्ता सुबह 11 बजे ट्रेन पहुंचेगा। उसके बाद वरिष्ठ अधिकारी दोपहर 12.30 बजे अमेरिका। दोपहर 12.45 बजे तक अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया।
ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने दर्ज कराई देरी की आलोचना। उन्होंने मंगलवार को कहा, “हमने दोपहर 3 बजे शव देखने के बाद सभी को बताया कि यह हत्या का मामला है। हमने शाम 5 या 5.30 बजे के आसपास अपनी शिकायत दर्ज की। लेकिन प्रभाव के रूप में 4 घंटे बाद दर्ज की गई। केवल पुलिस ने ही अपडेट है कि ऐसा क्यों हुआ।”
सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को झटका दिया
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भी देर तक सवाल उठाए। इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में गवाही दर्ज करने में देरी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को झटका दिया। मामले पर स्वत: संज्ञान ली गई अदालत ने कहा कि यह घटना पूरे भारत में दोस्तों की सुरक्षा के संबंध में व्यवस्थागत मुद्दे को उठाती है। इस घटना पर: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेई) डी वाई चंद्रचूड़ की राधाकृष्णन ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थिति सुरक्षित नहीं है तो हम उन्हें काम से शुरू कर रहे हैं। हैं।
शीर्ष अदालत ने बलात्कार-हत्या मामले में गोलीबारी दर्ज करने में देरी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि अस्पताल के अस्पताल क्या कर रहे थे? पृथिवी में रानौत जे बी पारडीवाला और रानौत मन्नौ मिश्रा भी शामिल हैं। पृसीन ने कहा, ”ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह चलता था लेकिन मेडिकल कॉलेज के वर्कशॉप ने इसे आत्महत्या की कोशिश की।”
प्रियंका ने कोलकाता पुलिस को भी रोका और पूछा कि हजारों लोगों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुसेड़ती है। उन्होंने पूछा कि जब आरजी कर हॉस्पिटल के वर्कशॉप में आचरण जांच की सुविधा हो तो उन्हें तुरंत किसी अन्य कॉलेज में नियुक्त कर दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को समर्थकों पर बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय संशुद्धि का उद्देश्य है। कोर्ट ने कहा कि 7,000 लोगों की भीड़ को कोलकाता पुलिस की जानकारी के बिना अस्पताल में भर्ती नहीं कराया जा सकता।