ओह! ये तो मुस्लिम विरोधी है, 36 घंटे की शिफ्ट पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता; टास्क फोर्स को ये निर्देश दिए गए हैं
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की लोधी रोड ने गुरुवार को कोलकाता रेप एंड मैसाचुसेट्स कांड की सुनवाई के दौरान कुछ उपदेशों के 36 घंटे की गहराई की चिंता की वकालत की और इसे प्राथमिकता दी। पीरिन ने अध्यापिकाओं के काम के घंटों को सुव्यवस्थित करने के लिए 10 जूनियर नेशनल टास्क फोर्स को निर्देश दिए हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम देश भर में दंत चिकित्सक के वकील काम के घंटों को लेकर बेहद चिंतित हैं। कुछ डॉक्टर 36 घंटे की गति में काम करते हैं।”
कुछ दिन पहले कोलकाता में बनाए गए नेशनल टास्क फोर्स को निर्देश देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि 36 या 48 घंटे की शिफ्ट बिल्कुल अलग है! इसलिए टास्क फोर्स सभी वकीलों के ऑन-ड्यूटी घंटों को सुव्यवस्थित करने पर विचार करें। इसके अलावा कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों, राज्य के साथ संवाद करने का भी निर्देश दिया। खंडवा में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं।
कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 5 सितंबर की तारीख तय की और पश्चिम बंगाल सरकार की स्थिति रिपोर्ट फिर से सील करने का आदेश दिया। कोर्ट ने मामले से जुड़े पक्षकारों (केंद्र एवं बंगाल सरकार) को इस मुद्दे पर राजनीतिकरण नहीं करने की भी सलाह दी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसानों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को एक पोर्टल का भी निर्देश दिया, जिसके माध्यम से हितधारक, राष्ट्रीय कार्य बल के संबंध में सुरक्षा के संबंध में सुझाव दिया गया। इस बीच, एम्स के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट की 11 दिनों की हड़ताल के बाद हड़ताल खत्म कर दी है।
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के दीक्षा हॉल में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिससे कई चिकित्सा संस्थान गैर-अपातकालीन आश्रम प्रभावित हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले का निपटारा किया: कर्मचारियों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 10 नेशनल टास्क फोर्स (एन मिर्ज़ा) का गठन किया गया। वाइस एडमिरल आरती सरीन के प्रमुखों वाले 10 कलाकारों को तीन सप्ताह के अंदर अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।
शीर्ष अदालत ने इस घटना को ”भयवह” करार दिया, जिसमें दी गई तस्वीरें दर्ज करने में देरी की गई और सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में उपद्रवियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार को झटका दिया गया। कोलकाता की घटना के खिलाफ यहां रेजिडेंट याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन आज 11 दिन हो गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने फिर से काम शुरू करने की धमकी दी थी। विरोध प्रदर्शन के कारण दिल्ली के प्राइवेट सेक्टर में मेडिकल स्टोर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। (भाषा इंजीनियरिंग के साथ)