मध्यप्रदेश

कमाल का कीड़ा! डॉक्टर की गंभीर बीमारी को ठीक माना जाता है, आयुर्वेद में इसे शोभा माना जाता है

इंदौर. एल पैथी, होम पैथी और नेचुरोपैथी जैसे इलाजों के बीच आयुर्वेद की लीच थेरेपी मशहूर हो रही है। जिसमें जलोका से इलाज होता है। आज भी यहां सैकड़ों की आसानी में लोग लीच थेरेपी से इलाज करवाते हैं। जिन्हे 80 वर्ष तक का लाभ भी मिलता है। आयुर्वेद के अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में लीच पद्धति चिकित्सा से कई बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। गंभीर बीमारी को भी यहां का मशहूर ठीक किया जा चुका है, बीमारी के हार्ट ब्लॉकेज को खोला जा रहा है। ऐसे कई लोगों का यहां बेहतर इलाज मिला है। जिसमें बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने इलाज से मना कर दिया था। उनके हाथ पैर तक काटने वाली मशीन की नौबत आ गई थी, लेकिन जोंक तकनीक ने बचा लिया।

लीच थारेपी की बड़ी संख्या
आयुर्वेद डॉक्टर निकोलस टैगोर ने बताया कि लीच थेरेपी डिजायर वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। क्योंकि यह एक ही नहीं है, बल्कि कई चिकित्सीय घटकों के लिए उपयोग किया जा रहा है। यह प्रक्रिया भारत में प्राचीन काल से चली आ रही है। लीच को थेरेपी ले रहे व्यक्ति के शरीर पर छोड़ दिया जाता है। लीच अपने दांतों से व्यक्ति की त्वचा को छेदते हैं। आपके लार के माध्यम से एंटीकोआगुलंट्स रोगी की त्वचा में बदलाव होते हैं। एक बार 20 से 45 मिनट तक मरीज का शरीर बाहर निकल जाता है, जो धीरे-धीरे-धीरज के शरीर से गंदा खून निगल जाता है, उसके बाद उसका शरीर बाहर निकल जाता है।

बालों के इलाज में भी कारगर साबित
डॉक्टर ने बताया कि जोंक में 60 प्रकार के केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल्स बेहद उपयोगी हैं। जोंक के लार में हिपेरिन नामक केमिकल होता है, जो रक्त संचार के प्रवाह के अवरोधक को खोल देता है, खैर जब जोंक रक्त चकता है, तब वह लार छोड़ता है। लार के माध्यम से हिपेरिन पूरे ब्लड सार्क सिस्टम के अवरोध को दूर कर देता है, जिससे हार्ट के ब्लॉकेज खुल जाते हैं।

जोंक का प्रयोग अन्य बीमारियों जैसे अस्थमा, एक्जिमा, गैंग्रीन, मुंहासों को ठीक करने में भी होता है। लेकिन, हिपेरिन केमिकल की वजह से सेक्शन साल पहले दिल के दौरे पर भी हमने प्रयोग किया है। लीच का इलाज बालो के लिए भी किया जा रहा है फायदेमंद जिन्हे बालो की समस्या, लीच का भी इस इलाज में फायदा मिल सकता है। जिस जगह पर खराब बाल दागे जा रहे हों, वहां रूट का टेस्ट करके पता लगाया जा सकता है कि वहां भी खून की समस्या है तो वहां पर लीच को छोड़ कर खराब खून निकाला जा सकता है, अरामी से बाल उगाए जा सकते हैं।

लीच उल्टी करता है
ख़ून के बाद लीच को हल्दी या नमक से उल्टी हो जाती है। जिसके बाद वह स्वस्थ हो जाती है। एक ही लीच से एक ही मरीज का इलाज हर 7 दिन में किया जाता है। इसके अलावा लीच को खाने के लिए कुछ शैवाल और बोरिंग का पानी दिया जाता है, क्योंकि यह एक समुद्री कीड़ा है।

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अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

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