बिहार

नीलगाय से परेशान किसान ने शुरू की हल्दी की खेती, 8 महीने की खेती में होती है 5 लाख की कमाई- नीलगाय से परेशान किसान ने शुरू की हल्दी की खेती, 8 महीने की खेती में कमाते हैं 5 लाख रुपए

वैशाली : जब इंसान के अंदर कुछ करने का जज़्बा हो, तो उसे किसी भी मुश्किल का हल निकाला जा सकता है। विशिष्ट जिलों के गोरौल खंड के एक छोटे से गांव, चैनपुर, के रहने वाले किसान डेमोक्रेट सिंह ने भी यही कर दिखाया है। डेमोक्रेट सिंह पिछले 10 वर्षों से मजबूत स्मारक खेत में हल्दी की खेती कर रहे हैं।

इस क्षेत्र के कई किसानों ने नीलगाय के आतंक से परेशान होकर खेती करना छोड़ दिया था, क्योंकि नीलगाय बीजाणु टूट गया था। लेकिन डेमोक्रेट सिंह ने अपनी सोच और मिट्टी से हल्दी की खेती का रास्ता चुना, जिसे नीलगाय नुकसान नहीं पहुंचाती है।

हल्दी की खेती मई महीने के अंत में शुरू होती है और जून की शुरुआत में इसका कारोबार शुरू हो जाता है। इस खेती में खर्च कम होता है और खेती अन्य बाजारों से अधिक होती है। हल्दी की खेती में ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती और लगभग 8 से 10 महीने की खेती में दो से तीन बार ही विचारधारा से काम करना सिखाता है। फरवरी माह में हल्दी की खुदाई शुरू हो गई, और एक कट्ठा खेत से पांच महीने से अधिक हल्दी का उत्पादन होता है।

मूर्तिकार सिंह कहते हैं कि चैनपुर गांव में नीलगाय की संख्या अधिक होने के कारण कई किसानों ने खेती छोड़ दी थी। लेकिन उन्होंने हल्दी की खेती शुरू करने में इस चुनौती को चुनौती दी। पहले उन्होंने दो से तीन कट्ठा में हल्दी की खेती को छोटा कर दिया, और जब उन्होंने देखा कि नील किगाय इस फसल को नुकसान नहीं पहुँचाती है, तो उन्होंने हर साल दो से तीन कट्ठा में हल्दी की खेती करना शुरू कर दिया।

धर्मेंद्र सिंह ने अपनी सलेम हल्दी को 2000 रुपये प्रति फ्लैट के खाते से बाकी को बेच दिया है। हल्दी की खेती न केवल आर्थिक रूप से है, बल्कि यह एक औषधीय खेती भी है, जो पर्यावरण संतुलन में भी मदद करती है। धर्मेंद्र सिंह की कहानी इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि अगर किसी के अंदर कुछ करने का जज़्बा हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।

टैग: कृषि, बिहार समाचार, लोकल18

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