झारखंड के पूर्व सीएम और पूर्व जेएमएम नेता चंपई सोरेन भाजपा में शामिल, जानें सभी अपडेट – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव
झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन
– फोटो : अमर कुमार बाउरी/एक्स
चंपेई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा देने के बाद आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी मौजूद रहे.
हाल ही में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा में खुद का अपमान होने की बात कह कर पार्टी से अलग राह तलाशने की बात कही थी। इसके बाद दिल्ली में चंपई की भाजपा नेतृत्व से मुलाकात की गई। इसके बाद 28 अगस्त को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ दिया था। अपने इस्तीफे को एक्स पर पोस्ट करते हुए चंपेई सोरेन ने लिखा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्राथमिक पदों और सभी समर्थकों से त्याग पत्र दिया गया था। झारखंड के आरक्षण, मूलनिवासियों, आदिवासियों, आदिवासियों और आम लोगों को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
‘झारखंड टाइगर’ के नाम से हटाया गया
चम्पई ने 1974 में कोटा स्थित राम कृष्ण मिशन हाई स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की थी। जब बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठ रही थी तो उस दौरान चंपई के नाम की खूब चर्चा हो रही थी. ‘कोल्हान के टाइगर’ के नाम से प्रसिद्ध चम्पाई इस आंदोलन के समर्थन में अहम भूमिका निभाए गए थे। उनके सक्रियता में 1990 के दशक में कोटा स्टील के कलाकारों में शामिल एक नामांकन आंदोलन शामिल है। शिबू सोरेन के साथ ही चंपई ने भी झारखंड के आंदोलन में हिस्सा लिया था. इसके बाद ही लोग उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी जानते हैं।
1991 में चम्पाई विधायक बने
चंपई संयुक्त बिहार में 1991 में सोलोमन पहली बार विधायक बने थे। के.सी. मार्डी के खाली होने के बाद चंपेई ने शेयर बाजार का चुनाव जीत लिया। फिर 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव में कम्युनिस्ट नेता बने।
वहीं 2005 में चंपई झारखंड क्षेत्र के लिए चयन किया गया। इसके बाद 2009 में भी विधायक बने। वे मुंडा अर्जुन वाली सरकार में सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी, श्रम और आवास मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वहीं जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन कैबिनेट मंत्री थे।
2014 में फिर से झारखंड क्षेत्र के लिए चुना गया। वहीं 2019 में भी विधायक बने। इसके साथ ही वह पेट्रोलियम सरकार में ट्रांसपोर्ट, चतुर्थ श्रेणी जनजाति, चतुर्थ श्रेणी जनजाति मंत्री बन गये। 2019 में चंपई ने अपनी संपत्ति 2.55 करोड़ बताई थी।
शिबू सोरेन के विश्वस्त को मिलि कमांड में इलिनोइस जेल चला गया
31 जनवरी, 2024 को भूमि निदेशक के पद के बाद पोर्टफोलियो निदेशालय ने रसेल सोरेन को गिरफ्तार कर लिया। अपराधी से ऐन पहले उन्होंने पद से त्यागपत्र दिया। इसके बाद 2 फरवरी को सोरेन सरकार में परिवहन मंत्री रहे चम्पी सोरेन को मुख्यमंत्री पद मिल गया। वह सोरेन के सबसे खास लोगों में माने जा रहे हैं। चंपे ने शिबू सोरेन के साथ लंबे समय तक काम किया है।
इलेक्ट्रिकल सोरेन की वापसी से चीनी कुर्सी
इसी साल जुलाई में झारखंड में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन हुआ। कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 28 जून को सोरेन को जेल से रिहा कर दिया गया। चंपेई सोरेन ने 3 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अगले दिन अर्थात 4 जुलाई को रसेल सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। नई सरकार में चंपई को कैबिनेट मंत्री के रूप में जल संसाधन, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे योगदान की जिम्मेदारी मिली।