मेट्रो में नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी, जालसाजों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर परिवार को बनाया शिकार। – अमर उजाला हिंदी न्यूज लाइव
सांकेतिक चित्र
– फोटो : अमर उजाला
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मेट्रो में नौकरी के विज्ञापन का फ़ायदा, जालसाज़ों ने एक परिवार से करोड़ों रुपये ठग लिए। चार ने फर्जी पहचान पत्र, बैचलर, और फर्जी पहचान पत्र के आधार पर नौकरी का वादा और बड़ी नकदी की हिस्सेदारी की। चार साल बाद अदालत के आदेश पर दाउदी थाने में धोखाधड़ी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया।
पुलिस की ओर से नहीं हुई कोई कार्रवाई, परिवार वालों ने कोर्ट से लिया नोटिस। चार साल बाद अब कोर्ट के आदेश के बाद डाबड़ी थाना पुलिस ने धोखाधड़ी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। परिवार को उम्मीद है कि पुलिस जल्द से जल्द कैदियों के पीछे पहुंच जाएगी और उन्हें न्याय मिल जाएगी।
चंचल परिवार दाबड़ी इलाके में रहता है। ये बहादुरगढ़ हरियाणा में एक मकान है।
चंचल ने बताया कि 2020 में मेट्रो में नौकरी का विज्ञापन था। बहादुरगढ़ में उनके मकान के बाहर रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि कार्तिक नाम के व्यक्ति की बेटी को मेट्रो में नौकरी मिल सकती है। बहादुरगढ़ में रहने वाले कार्तिक से फोन पर बात करने पर उसने बेटी को नौकरी का लाइसेंस दिया और बताया कि इसके लिए तीन लाख रुपये चुकाने होंगे। चंचल ने बताया कि उन्होंने दो लाख रुपये का कर्ज लिया है।
8 जनवरी 2020 को कार्तिक दो अन्य लोगों के साथ कार्टून के घर आया। दोनों को मेट्रो के स्टाफ ने बताया। उसके बाद कार्तिक ने मेट्रो के एक फॉर्म पर हस्ताक्षर किए। उसके बाद दो लाख रुपये।
कार्तिक ने चंचल को बताया कि आपकी बेटी का रजिस्ट्रेशन हो गया है। कुछ दिन बाद मेट्रो का फेस्टिवल लेटर मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि फेस्टिवल लेटर मीटिंग के बाद उन्होंने एक लाख रुपये खर्च किए। कुछ दिन बाद पूछताछ करने पर सैमुअल ने अपने मेट्रो का पहचान पत्र और बैग भेजने की योजना बनाई। साथ ही लड़की का पुलिस विभाग के डिप्टी के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने अपने एक दोस्त को बाकी का वोट देने के लिए कहा।
पीड़ित परिवार ने नेट को ऑनलाइन अपने दोस्त के बैंक खाते में भेज दिया। उसके बाद सैमसंग ने उन्हें लक्ष्मी नगर के एक पासपोर्ट पर जाने के लिए कहा। अपनी बेटी के साथ उस पोस्ट पर चुटकी ली लेकिन वहां कोई ऑफिस नहीं था। फ़ोन करने पर कार्तिक ताल मटोल करने लगा।
बाद में पता चला कि उसके सारे दस्तावेज़ नकली हैं। पीड़ित परिवार ने उसपर पैसे वापस लेने का दबाव दिया। उसके बाद में तीन चेक नीचे दिए गए। सभी चेक बाउंस हो गए। पीड़ित परिवार ने डाबड़ी थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई तो छह माह तक पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।