एमपी की इस जेल में कैदी बना रहा इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा, 5 दिन की सजा होगी माफ
जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर में सामुबाहिद चंद्र बोस सेंट्रल जेल में चार दिवारी में बंद कैदी इको फ्रेंडली गणेश की मूर्ति बनाए जा रहे हैं। हालाँकि, इन गोलियों का वक्त ख़राब था, जिसके कारण जेल में सज़ा काटी जा रही थी। लेकिन, काबिलियत में कोई भी कमी नहीं है. इसी काबिलियत को देखते हुए जेल प्रशासन ने 10 जेलों की टीम बनाई और अब कैदी मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं।
सेंट्रल जेल में बड़ी संख्या में कैदी छोटी-छोटी लेकर बड़ी मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें 300 छोटी-छोटी मूर्तियां शामिल हैं। इनमें बड़ी मूर्तियां भी हैं, जिनमें दो सेंट्रल जेल में ही तीन मूर्तियां शामिल हैं। एक बड़ी मूर्ति जज कॉलोनी रांझी के ऑर्डर से बन रही है। मूर्ति बना रहे कैदी ने बताया कि उसे 3 साल की सजा काटी जा रही है। जेल प्रशासन ने 300 गणेश प्रतिमाएं दी हैं। कलाकृतियों को इको फ्रेंडली बनाया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो।
जेल की मिट्टी, इको फ्रेंडली रंग का प्रयोग किया जाता है
जेल अधीक्षक अटलांटा तोमर का कहना है कि जेल में गणेश प्रतिमाओं की मिट्टी, तुलसी, लकड़ी, चारे और गोबर का उपयोग किया जा रहा है। वहीं, चौक मिट्टी को बाजार से लाया गया है। रंग इको फ्रेंडली होते हैं, क्योंकि मूर्ति को मां के नाम से विसर्जित किया जाता है, इसलिए सारी मूर्तियां इको फ्रेंडली बनाई जा रही हैं। इससे पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। आगे बताया कि जेल में बंद कैदी की मूर्ति ही दीपक नहीं है, कपड़े लेकर अन्य मूर्तियां भी जेल परिसर के अंदर तोड़ दी जाती हैं। कुशल बंदियों का निर्माण कुशल बंदियों द्वारा किया जाता है।
5 दिन की सज़ा होगी कम
उन्होंने बताया कि जेल कॉम्प्लेक्स के अंदर करीब 300 छोटी मूर्तियां बिक चुकी हैं। नवीनतम लेकर जेल परिसर में ही स्टॉलप्लांट जायेंगे। यह स्टॉल गणेश चतुर्थी के दो दिन पहले से उपलब्ध हैं। इसमें आम नागरिक सामान को आसानी से खरीदने का शुल्क दिया जाता है। गणेश प्रतिमा की कीमत 101 से लेकर 501 रुपये तक होगी। उन्होंने बताया कि मूर्ति की बिक्री राशिद जेल में होती है, जबकि मूर्ति को 10 जेल की सजा प्रोत्साहन के रूप में 4 से 5 दिन कम कर दिया जाएगा।
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पहले प्रकाशित : 3 सितंबर, 2024, 22:42 IST