कारखाने के भेड़िये, यूक्रेन के तेंदुए, जंगल की शान क्यों ले रहे इंसानों की जान? बस्ट से जानें
पनभीत. वैसे तो मानव-जंगली दरार के संघर्ष का इतिहास पुराना है लेकिन कुछ दशकों में इन घटनाओं में झील के रूप में मजबूत हुई है। अगर क्लिप्स की बात करें तो एक दशक में इस समस्या को यहां सिद्धांत रूप में लिया गया है। लेकिन इसके पीछे भी कुछ कारण हैं।लगातार आबादी के बीच उग्र जंगली जानवरों की कट्टर सक्रियता को लेकर स्थानीय 18 टीम ने 3 दशक से तराई आर्कलैंड के वन और बागानों से जुड़े मामलों की रिपोर्ट कर रहे वरिष्ठ पत्रकार और शौकीन विशेषज्ञ केशव अग्रवाल से विशेष बातचीत की है.
जंगली जानवरों के झुंड की आबादी में आने वाली घटनाएं पूरे देश भर में ही भड़की हुई हैं। अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस मामले में कमल बहुत ही आकर्षक है। मिडिल टाइगर रिज़र्व में बाघों की आबादी में आने का सबसे प्रमुख कारण उनकी संख्या वनों की संख्या से अधिक होना है। रिजर्व टाइगर रिजर्व का कुल विज्ञापन केवल 30-35 बाघों को स्थान देने के लिए ही उपलब्ध है। परन्तु देवताओं की यात्रा तो यहाँ 70 से भी अधिक बाघ हैं। वहीं क्लिप्स टाइगर रिज़र्व के जंगल की चौड़ाई काफी कम है, यह 3-5 किलोमीटर के बीच है। ऐसे में कई बार बाघ के मालिक तक पहुंच जाते हैं। जहां समुद्री डाकू के रूप में उन्हें सबसे आसान शिकार मिल जाता है। जिसके बाद सहमति में उनकी रुचि बन जाती है।
WWF की ओर से जारी रिपोर्ट में बिग बॉस 19 का अंदेशा दिखाया गया है
केशव अग्रवाल कहते हैं कि WWF ने 2022 में इन मामलों से जुड़ी एक रिलीज रिपोर्ट की थी। संस्था द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया कि वैश्विक स्तर पर नमूनों के जंगली शिकार की संख्या में बहुत कमी आई है। वहीं अगर भारत की बात करें तो यहां यह पात्र 55% दर्ज है।
पहले प्रकाशित : 21 सितंबर, 2024, 07:00 IST