बिहार

वीडियो: खतरनाक है कोबरा आर्किटेक्ट का ये सांप, आरा के मसाला फैक्ट्री में मीटिंग से मचा सामान

गौरव सिंह/भोजपुर: बिहार के आरा जिले के शोभी डुमरा गांव में स्थित एक मसाला मसाला में दो कोबरा सांप दिखने से मच गया। फ्रैंचाइज़ी के रचयिता रंजन सिंह और उनके कर्मचारियों ने जब भी साँपों को देखा, तो साँपों की साँपों से बाहर निकल गए और तुरंत रिलीज़ को सूचना दी। हालाँकि, ग्रामीण भी इन जेलों में कोबरा सांपों के पास जाने की वैज्ञानिकता नहीं मिली। बाद में, रिक्वेस्ट टीम को बुलाया गया, जिसने संकट के बाद दोनों सांपों को सुरक्षित रूप से नियुक्त किया।

कोबरा की सुविधा से दस्तावेज़ छुट्टी
यह घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के शोभी डुमरा गांव की है, जहां रंजन सिंह की मसाला मसाला एक साथ दो कोबरा सांप रिलीज हुई थी। फैक्ट्री के एक कर्मचारी ने जब फैक्ट्री में काम किया, तो उसने दोस्त एक कोबरा को देखा और तुरंत रंजन सिंह को सूचित कर दिया। रंजन सिंह ने एक सांप पर जाल फेंककर उसे मिकाने की कोशिश की, जिससे सांप का जाल उलझ गया। बाद में, प्रतिष्ठा टीम को बुलाया गया, जिसने पहले इस सांप को सुरक्षित रूप से आश्वस्त किया।

दूसरा साँप का पुनर्विक्रय चल रहा है
दूसरा सांप करीब 7 फीट वजनी और विशाल था, जो खुले में घूम रहा था और किसी चीज में फंसा नहीं था। साँप को पकड़ने में यह काफी मुश्किल साबित हुआ, लेकिन टीम की कोशिशों से इसे भी सुरक्षित रूप से पकड़ लिया गया। बाद में दोनों साँपों को जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया।

दो साँप एक साथ
रंजन सिंह ने बताया, सुबह जब मेरे साथी टीम में शामिल हुए, तो उन्होंने एक कोबरा को बोरे में छिपा हुआ देखा। इसके बाद उन्होंने मुझे फोन कर जानकारी दी और गेट बंद रखने को कहा। जब मैं मशीन पर पहुंचा, तो पहले सिर्फ एक सांप, जिस पर मैंने जाल फंसा दिया। इसके बाद हम गेस्ट टीम का इंतजार कर रहे थे कि दूसरा कोबरा भी दिखाई देगा। हम तुरंत वहां से निकल कर बंद हो गए और टीम के आने तक नहीं पहुंचे।

कोबरा की एक शाखा
प्रतिष्ठा टीम के सदस्य मोहज़ब खान ने बताया कि इन सांपों का वैज्ञानिक नाम नाजा-नाजा है, जिसे आम तौर पर नाग या गेहुंवन सांप कहा जाता है। यह कोबरा की एक शाखा है और इसे भारत के सबसे खतरनाक सांपों में तीसरे या चौथे स्थान पर माना जाता है। खान ने बताया कि सांपों की तस्वीरें काफी बड़ी थीं। जो सांप जाल में फंस गया था, वह भागने के लिए जाल पर कई बार हमला किया, जिससे उसके दांत जाल में बुरी तरह फंस गए। उन्होंने बताया, अगर हम उसे जाल से बाहर नहीं ले जाते, तो दम घुटने से सांप की मौत हो सकती थी। हाई रिस्क में नामांकित और सहायक सहायक ने प्लाल को उसके दांत निकाल दिए। इसके बाद दोनों साँपों को सुरक्षित जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया। यह घटना जहां एक ओर डर और गरीबी का कारण बनी, वहीं दूसरी ओर प्रतिष्ठा टीम की बहादुरी और सादगी की वजह से दोनों को सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया गया।

टैग: बिहार समाचार, स्थानीय18

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