5000 पेज मत दीजिए, हमारा दिमाग खुला है, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने क्यों कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के OBC फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल की याचिका – India Hindi News
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देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पुनर्विचार वाली याचिका पर सोमवार (5 अगस्त) को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोलकाता हाई कोर्ट द्वारा 77 मुस्लिम समुदाय के सहयात्री कैटगरी के तहत दिए गए आरक्षण को रद्द कर दिया गया था। निर्णय को चुनौती दी गई है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2010 में दिए गए कई टुकड़ों को मई में समाप्त कर दिया था और राज्य में सेवाओं और रिक्तियों के लिए इस तरह के नए को अवैध करार दिया था। इसी के तहत ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज ममता सरकार से पूछा कि आखिरकार किस आधार पर 77 बेल्ट को पद दिया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर हाफनामा मूल्य कर डेटा शेयर करने का निर्देश दिया है। सीजेई दिवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की याचिका सुनवाई कर रही है।
इफ बार एंड बेंच के अनुसार, इस दौरान सीजेआई ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि क्या राज्य ने एसोमिली की पहचान के लिए आयोग के साथ किसी तरह की सलाह ली थी और क्या राज्य ने किसी तरह के सर्वेक्षण के आधार पर यह निर्णय लिया है हां तो इसे स्पष्ट करना जरूरी है। इसके साथ ही सीजेआई ने राज्य सरकार के वकील से कहा, “5000 पेज मत जाओ। हमारा दिमाग खुला है। पहला दृष्टिकोण उच्च न्यायालय के फैसले के सभी निष्कर्ष आपके खिलाफ हैं, इसलिए हम राज्य को उन निष्कर्षों को पढ़ने का मौका दे देते हैं रह रहे हैं। आप एक सप्ताह के अंदर हलफनामे का ध्यान रखें।”
इस बीच, बंगाल सरकार की ओर से प्रमुख प्रधान मंत्री इंदिरा जयसिंह ने कहा, यहां राजनीतिक खेल चल रहा है। इसी बीच प्रोटिविस्ट ने केस में राष्ट्रीय फ़्लोट वर्ग आयोग को भी एक पक्ष बनाने की मांग की, जिसे सीजे ने विचार कर लिया। इंदिरा जयसिंह ने फिर कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पूरी तरह से ढांचागत स्थापना की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस पर अगले शुक्रवार को सुनवाई करेंगे। कृपया तब तक प्रतीक्षा करें।
अब पश्चिम बंगाल सुप्रीम कोर्ट के सममित हलफनामे में 77 कोलम को शामिल किया गया है। पृष्णि ने यह भी पूछा कि राज्य सरकार द्वारा उप-वर्गीकरण के लिए किसी से क्या सलाह ली गई थी। बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने जजमेंट में यह भी कहा था कि इन समुदायों को सिर्फ धर्म को ही एक ही आधार दिया गया है। 77 बैसिल को समग्र रूप से मुस्लिम समुदाय का अपमान घोषित किया गया है।”
उच्च न्यायालय ने अप्रैल और सितंबर 2010 के बीच 77 स्ट्रेंथ को दिए गए नैट को और 2012 के कानून के आधार पर बनाए गए 37 स्ट्रेंथ को रद्द कर दिया था।