बिहार में स्कूल का प्रदर्शन, एक कमरे में एक क्लास, अलग-अलग रंग से नई पहचान और बेहतर सुविधा
पटना.बिहार सरकार ने स्कूल के एक कमरे में कई कक्षाओं के विद्यार्थियों की पढ़ाई पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। अब प्रत्येक कमरे में केवल एक ही कक्षा के छात्र पढ़ेंगे। इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक विद्यालय में कक्ष बनाया जाए। केके पाठक के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का दायित्व वाले डॉ. एस सिद्धार्थ ने बिहार के सभी आचलों के डियो को इस संबंध में पत्र लिखने का निर्देश दिया है.
इसमें हेडमास्टर के लिए ऑफिस बनाने का भी निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही भवन निर्माण और खंडहर भवन का जीर्णोद्धार करने की बात कही गई है। वहीं, विद्वानों की पहचान के लिए भवन का निर्माण और जीर्णोद्धार भी किया गया है। कक्षा 1 से 8वीं तक के स्कूल का बाहरी हिस्सा गुलाबी रंग का होगा, जबकि 9वीं से 12वीं तक के स्कूल का बाहरी हिस्सा ग्रे रंग का होगा। इसके अलावा स्कूल के चारों ओर की ओर से पत्रिकाएं बनाने और गेट लगाने का निर्देश दिया गया है ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
हेडमास्टर के लिए कार्यालय बनाएँ
इस निर्णय से बिहार के विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार होगा। छात्रों को अब बेहतर ऑटोमोबाइल में पढ़ने का मौका मिलेगा। विद्वानों के बाहरी हिस्सों का रंग बदलना से उन्हें पहचानना आसान होगा। हेडमास्टर के लिए कार्यालय निर्माण से लेकर विद्यालय प्रशासन में सुधार होगा। भवन निर्माण और खंडहर भवन का जीर्णोद्धार करने से छात्रों को बेहतर निर्देश मिले। बिहार सरकार का यह निर्णय शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।
देओ 50 लाख तक का खर्चा
स्कूल के लिए भवन निर्माण, रंगाई, स्मानियावाल सहित अन्य कार्यों के लिए लागत की सीमा निश्चित बताई गई है। इसके लिए हेडमास्टर 50 हजार रुपए तक खर्च कर सकता है। जबकि डीओ की लागत सीमा 50 लाख रुपए निश्चित बताई गई है। हालाँकि, डीएओ निविदा के माध्यम से ही निर्माण कार्य करवा सकते हैं। इसके साथ ही 50 लाख रुपये से अधिक काम के लिए बिहार राज्य पुरातत्व संरचना विकास निगम लिमिटेड की जिम्मेदारी होगी।
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पहले प्रकाशित : 11 अगस्त, 2024, 16:57 IST