किसानों को अब खर-पतवार बर्बाद हो गया, पैसे नहीं मिलेंगे…बदले में कमाई होगी
रिपोर्ट- आशीष आशिक़
बागपत: जिले के किसानों के लिए अच्छी खबर है। एक किसान ने अब अपने कृषि संयंत्रों की खोज की है, क्योंकि यहां एक किसान ने कृषि अवशेषों से सीमेंट बनाने का कारखाना लगाया है। इसी तरह के एक उदाहरण के रूप में रेलवे का धमाका देश-विदेश तक हो गया है। यदि बैराज के भट्टा मालिक इस अनाज बागान का उपयोग अपने गठबंधन भट्टो में करना शुरू कर दें तो पूरे मजदूर क्षेत्र में समूह वाले भट्टा से 90% तक की कमी हो सकती है।
यह पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी तरह की अनोखी और एकल इकाई है। इस प्लांट में एग्रीकल्चर कॉम्प्लेक्स से डेली 100 टन प्लांट का निर्माण चल रहा है, यहां तक कि एलेक्ट्रिकल एनटीपीसी प्लांट के आर्टिस्टिक प्लांट का निर्माण भी जारी है। इस अनोखे उत्पाद का वैज्ञानिक नाम पेलेट है।
कोटा में लुहारी गांव के किसान देवेन्द्र सिंह ने कृषि अवशेष गांव में एक संयंत्र स्थापित किया है जो प्रतिदिन 100 टन की आवासीय कॉलोनी का निर्माण करता है। पैगम्बर सिंह ने कहा कि मोदी जी के आह्वान पर हमने ये किया था कि किसानों की आय खरीदी और हम भी कुछ कर पाये।
बता दें कि इस उपकरण में किसानों के कृषि आदिवासियों को अच्छे मसालों के साथ बेचा जाता है और उस कृषि संयंत्र से एक ऐसा रंगीन उत्पाद तैयार किया जाता है, जो अन्य उद्यमों, नट पीसी, समूहों भट्टों और बड़े भंडारों में तैयार किया जाता है। इस फैक्ट्री के मालिक और दिग्गज सिंह ने बताया कि उनके उत्पादों को वैज्ञानिक भाषा मे पेलेट या ब्रिकेट ने कहा है कि इसका निर्माण कृषि अवशेषों से किया जाता है। इस उत्पाद की बड़ी फैक्ट्री, थोक भट्टो और बड़े बिजली उत्पादन संयंत्र मौजूद हैं। यह उत्पाद पूरी तरह से प्रदूषण रहित होता है।
लेबल सिंह के संकेत हैं कि वह किसान परिवार से गोदाम रखते हैं और वो कुछ ऐसा काम करना चाहते हैं जिससे किसान आय भी पैदा कर सकें और प्रकृति को प्रदूषण की मार भी न झेलनी पड़े। लेबल सिंह के हाथ लगे हैं कि उनके उत्पाद हाथों में जा रहे हैं। देश के बड़े ग्रांट के अलावा उनके उत्पाद भूटान, बर्मा में भी शामिल किए जा रहे हैं और सरकार इस बार प्लांट को आर्थिक रूप से भी स्थापित करने के लिए तैयार है। एमएसएमई के तहत इस इकाई को स्थापित करने के लिए काफी प्रोत्साहन दिया जाता है।
इसके साथ-साथ किसानों को अपने कृषि फार्मों में स्थापित करने का अवसर भी नहीं मिलेगा, बल्कि कृषि आदिवासियों को बेच कर किसानों को अतिरिक्त विज्ञापन भी मिलेगा।
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पहले प्रकाशित : 20 अगस्त, 2024, 14:07 IST