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एएसआई ने मुगल काल के स्मारक शीश महल का सर्वेक्षण कार्य शुरू किया – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव

एएसआई ने मुगलकालीन स्मारक शीश महल का सर्वेक्षण कार्य शुरू किया

शीश महल
– फोटो : अमर उजाला

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मुगल शासक औरंगजेब की ताजपोशी जहां हुई थी, उस ऐतिहासिक शीश महल का संरक्षण कार्य शुरू हुआ था। शालीमार बाग स्थित यह मुगलकालीन स्मारक जल्द ही अपने वास्तविक स्वरूप में दर्शाया गया है। ऐसे में यह देसी-विदेशी फिल्मों को दूर से ही आकर्षित करता है।

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए असोसिएट्स) इसका मुख्य संग्रहालय संरक्षित कर रहा है। यह कार्य अलग-अलग चरण में पूरा किया जाएगा। ऑगस्टाइन का विशेष जोर मुख्य इलेक्ट्रॉनिक्स को पुराने स्वरूप में लाना है। किले ने महल को संरक्षित करने की समय सीमा चार माह रखी है। कभी शाह जहान की मातों का आरामगाह शीशे के महल में रहा, लंबे समय से अनदेखी का दंश झेल रहा था।

1983 से संरक्षण के संरक्षण में चमकीला महल

17वीं सदी के शीश महल का संरक्षण लंबे समय से जारी है। यह स्मारक वर्ष 1983 से संरक्षण के अंतर्गत है। संरक्षण में राजस्थान के लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही, परफेक्ट लाल रंग के ब्लॉकों का भी उपयोग हो रहा है। मुख्य विचारधारा के संरक्षण के बाद प्लास्टिसिटी प्रक्रिया को लीम पेनिंग के माध्यम से संरक्षित किया जाएगा। संरचना को ठीक करने और इसमें गैप को शामिल करने के लिए चूना, सुरखी, गुड़, बेलगिरी और अरहर की दाल का उपयोग किया जाएगा।

समय के साथ-साथ खंडहर हो गई इमारत

यह ऐतिहासिक इमारत समय के साथ खंडहर हो गई है। सीज़न की मार व समय के साथ इसमें लिखा गया है। जगह-जगह से लगाई गई है गिरियां। इसकी दीवारें और छतों पर बनी पेंटिंग खराब हैं। इसके आसपास कई सर्किट हैं, जो अब जंगलों में दिखाई दे गए हैं। इसे देखते हुए पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया है। भवन के सुदृढीकरण के साथ छत, चौखट, छतों का भी संरक्षण कार्य किया जाएगा।

शाहजहाँ ने अपनी बॉटम के लिए ग़ायब किया था

शिष्यों ने शीश महल को शाहजहाँ के लिए अपनी पिस्तौल के लिए धन्यवाद दिया था। यहां उनकी बॉटम और उनकी सहेलियां झूला झूलने आती थीं। यहां खूबसूरत चित्रकारी देखी जा सकती है। बेल शार्क को लाल-हरे रंग में खूबसूरती से गढ़ा गया है, शीशम महल के ऊपर पानी के झरने के दोनों तरफ एक-एक कमरा भी बना हुआ है। कहा जाता है कि यहां एक सुरंग भी होता था, जो लाल किला तक गया था।

राजस्थान और मध्य प्रदेश के शिल्पकार काम कर रहे हैं

महल को संरक्षित करने के लिए अलग-अलग राज्यों से कलाकार आए हैं। यहां मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कलाकार शामिल हैं। जिसमें 30 से 40 कलाकार शामिल हैं। कोचिंग के एक अधिकारी ने बताया कि इसमें सबसे बड़ी चुनौती कुशल कारीगरों को शामिल करना है। उनका कहना है कि स्मारकों के संरक्षण का काम कोई कलाकार नहीं कर सकता। जहां जिस तरह का स्मारक होता है वहां जहां पत्थर का इस्तेमाल होता है वहीं कहीं कलाकारों की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस स्मारकीय स्मारक को आकर्षित किया जाएगा।

शीशम महल का इतिहास

शालीमार बाग में स्थित शीशम महल 17वीं सदी का स्मारक है। शीशमहल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी मातम अइज्जुन्निसा की याद में किया था। 1658 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब को इसी स्थान पर ताज पहनावे वाले बादशाह का खिताब दिया गया था। इंग्लैक्शन दिल्ली रिकॉर्ड्स के प्रमुख और सुपरिटेंडेंट डेंटिस्ट आर्कियोलॉजिस्ट सिंह ने बताया कि शीश महल का संरक्षण कार्य चल रहा है। यह ऐतिहासिक दृष्टि से अहम स्मारक है। जल्द ही यह अपने पुराने स्वरूप में आ गया। ऐसे में यह रोबोट को आकर्षित करेगा। यहां ऑब्जेक्टिव को कई तरह की सुविधाएं भी दी जाएंगी।

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